Nano Fertilizer: नैनो खाद ने मध्य प्रदेश में कर दिया कमाल… किसानों की पैदावार बढ़ी, खर्च घटा, हो रही बंपर कमाई
मध्य प्रदेश के समेत देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों को खाद की कमी से जूझना पड़ रहा है। इस बीच, मध्य प्रदेश के मुरैना से सफलता की नई कहानी सामने आई है। यहां किसानों ने सरकार द्वारा मुहैया कराए गए नैनो डीएपी और यूरिया का उपयोग किया। नतीजा हैरान करने वाला रहा।
Publish Date: Wed, 04 Dec 2024 08:00:00 AM (IST)
Updated Date: Wed, 04 Dec 2024 09:33:28 AM (IST)
Nano Fertilizer के उपयोग से गोभी, गाजर, शकरकंद आदि सब्जियों की चमक, पैदावार व आकार सामान्य खाद से ज्यादा है।HighLights
- धान में प्रति बीघा एक क्विंटल पैदावार ज्यादा
- सब्जियों की गुणवत्ता व पैदावार में गजब सुधार
- खाद की मारामारी से छुटकारा खर्च भी आधा
हरिओम गौड़, मुरैना। बीते चार साल से मुरैना जिले के किसान डीएपी और यूरिया खाद का संकट झेल रहे हैं। इस बार भी रबी सीजन में गेहूं और सरसों की बोवनी के लिए किसानों को डीएपी व यूरिया खाद नहीं मिल रहा। बोरे में आने वाले डीएपी खाद के विकल्प के तौर पर सरकार ने बोतल में तरल रूप में आने वाले नैनो डीएपी व यूरिया खाद को विकसित किया है, लेकिन जिले के अधिकांश किसान नैनो खाद पर विश्वास नहीं कर रहे।
वहीं, जिन किसानों ने नैनो डीएपी और यूरिया का उपयोग फसल में किया है, उनकी फसल की गुणवत्ता और पैदावार में बढ़ोतरी हुई है। अब यह किसान दूसरों को भी नैनो खाद के उपयोग की सलाह देते हैं, क्योंकि इससे खाद का खर्च कम हुआ है और खेतों की मिट्टी में बढ़ने वाले जहरीले केमिकल का खतरा भी घटा है।
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धान ढाई मन ज्यादा हुई, छह बार काट लिया धनिया
- महाराजपुरा गांव के किसान गंधर्व सिंह यादव ने पांच बीघा से ज्यादा धान की खेती में नैनो डीएपी व नैनो यूरिया का उपयोग किया। आसपास के किसानों ने बोरे में आने वाले खाद उपयोग किए।
- गंधर्व के खेत की धान के पौधे घने और दाने भी अधिक थे। अन्य किसानों के खेत में प्रतिबीघा 19-20 मन (एक मन 40 किलो) की पैदावार हुई, जबकि गंधर्व सिंह के खेत में साढ़े 22 मन, यानी एक क्विंटल ज्यादा धान पैदा हुई।
- जौरा तहसील के जाफराबाद गांव के किसान कमलेश कुशवाह बताते हैं कि धनिया, गाजर, मूली, शकरकंद, गोभी आदि फसलों में नैनो खाद उपयोग किया। वे अब तक धनिया की छह बार कटिंग कर चुके हैं।
- वहीं, सामान्य खाद का उपयोग करने वाले किसान पौधे की चार बार कटिंग कर सब्जी मंडी में हरा धनिया बेच पाए। कमलेश के खेतों में अभी भी धनिया के पौधों से फूट हो रही है।
- गोभी, गाजर, शकरकंद आदि सब्जियों की चमक, पैदावार व आकार सामान्य खाद से ज्यादा है। कमलेश को देख उसके बड़े भाई कुंवरपाल व अन्य ग्रामीण भी अब नैनो खाद का उपयोग कर रहे हैं।
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मिट्टी जहरीली नहीं, किसान और सरकार को भी आर्थिक लाभ
डीएपी खाद का एक बोरा 1355 रुपये का है, वहीं नैनो डीएपी की एक बोतल मात्र 600 की है। यूरिया खाद का बोरा 277 रुपये का है, जबकि नैनो डीएपी 225 रुपये की बोतल है। 500 एमएल की बोतल 50 किलो खाद के बराबर जमीन में उपयोग होती है। इससे किसानों का खर्च आधा हुआ।
सरकारी खजाने के लिए नैनो यूरिया इसलिए फायदेमंद है, क्योंकि डीएपी व यूरिया के बोरे पर सरकार को 1083 व 1700 रुपये की सब्सिडी देनी पड़ती है, वहीं नैनो यूरिया पर सरकार कोई सब्सिडी नहीं देती।
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