Morena election result 2024: नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट पर भाजपा की जीत के शिल्पकार विजयपुर के कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत रहे। रामनिवास रावत ने मतदान 7 मई से एक सप्ताह पहले यानी 31 अप्रैल को कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली। रामनिवास के भाजपा में जाने से पहले कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह न सिर्फ विजयपुर, बल्कि श्योपुर विधानसभा में भी मजबूत स्थिति में थे। रावत ने भाजपा ज्वाइन कर ली, लेकिन कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया और कांग्रेस विधायक रहते हुए भाजपा के लिए पूरे दमखम से काम किया और परिणाम यह रहे, कि विधानसभा चुनाव में खुद 18000 वोट से जीते। रावत के कारण भाजपा को लोकसभा चुनाव में 35216 वोट से बढ़त मिली।
विजयपुर विधानसभा में भाजपा के खाते में कुल 89963 वोट आए, वहीं कांग्रेस के खाते में 54351 वोट गए। विजयपुर से मिली बंपर बढ़त के कारण भाजपा को सबलगढ़, जौरा विधानसभा में मिले गड्ढे को न सिर्फ पाटा, बल्कि पहले से अंत के राउंड तक बढ़त को बरकरार रखने में मदद मिली। रावत के प्रभाव का असर श्योपुर विधानसभा सीट पर भी पड़ा। श्योपुर सीट पर कांग्रेस के बाबू जंडेल विधायक हैं, जिनके प्रभाव को कम करते हुए रामनिवास रावत ने मीणा समाज के वोट को भाजपा की ओर मोड़ने के लिए मीणा समाज की दो बड़ी पंचायतें की, जिनका असर यह पड़ा कि मीणा बाहुल्य क्षेत्रों से भी भाजपा को भारी वोट मिला।
पांच विधानसभा भाजपा ने जीतीं तो कांग्रेस को तीन में बढ़त मिली
मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें से पांच विधानसभाओं श्योपुर, विजयपुर, जौरा, मुरैना और अंबाह में कांग्रेस के विधायक हैं, वहीं भाजपा के पाले में केवल तीन विधानसभा सबलगढ़, सुमावली और दिमनी विधानसभा हैं। लोकसभा चुनाव में इसके उलट परिणाम आए हैं। आठ में से पांच विधानसभा श्योपुर, विजयपुर, अंबाह, दिमनी और सुमावली में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है। इन पांच विधानसभाओं में से जीत का सबसे बड़ा अंतर विजयपुर विधानसभा में 35612 वोट का रहा, जबकि सबसे छोटा 500 वोट का अंतर अंबाह विधानसभा में रहा, अंबाह में कांग्रेस के विधायक हैं। दूसरी ओर कांग्रेस को केवल तीन विधानसभाओं में जीत नसीब हुई, जिनमें मुरैना जिला मुख्यालय के अलावा सबलगढ़ और जौरा की सीट है। मुरैना व जौरा में कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि सबलगढ़ में भाजपा की सरला रावत विधायक हैं, फिर भी सबलगढ़ में कांग्रेस को सबसे बड़ी 14010 वोट की जीत मिली है। मुरैना विधानसभा में कांग्रेस को महज 1411 वोट और जौरा में 11112 वोट से जीत मिली है।
भाजपा के शिवमंगल सिंह तोमर अौर कांग्रेस के नीटू सिकरवार दोनों ही पूर्व विधायक रहे हैं। शिवमंगल सिंह दिमनी विधानसभा और नीटू सिकरवार सुमावली के विधायक रहे हैं। दोनों नेताओं के अपने-अपने घर में बड़ी जीत की उम्मीद थी, जिस पर भाजपा प्रत्याशी तो खरे उतरे हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह नीटू सिकरवार की उम्मीदों पर सुमावली विधानसभा के परिणाम कुठाराघाट की तरह रहे। सुमावली में भाजपा प्रत्याशी को 65725 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस के नीटू को 49831 वोट मिले हैं। यानी अपने ही घर में कांग्रेस उम्मीदवार 15891 वोट से परास्त हो गए। उधर शुरुआती चरणों में शिवमंगल सिंह तोमर भी दिमनी को हारते दिख रहे थे, जब दो चरणों में वह कांग्रेस से 800 वोटों से पीछे हो गए थे, लेकिन इसके बाद भाजपा ने ऐसी वापिसी की, कि भाजपा के शिवमंगल को दिमनी विधानसभा से 65072 वोट मिले, वहीं कांग्रेस के नीटू सिकरवार 49048 वोट तक सिमट गए, यानी शिवमंगल ने अपने घर में 16024 वोट से जीत हांसिल की।
सांसद बनने की इस दौड़ में कुल 15 प्रत्याशी थे। इनके अलावा मतदाताओं को वोट देने के लिए नोटा का भी विकल्प था। यानी नोटा सहित कुल 16 प्रत्याशी दौड़ में माने जा सकते हैं। चुनाव परिणामों में रोचक बात यह सामने आई है, कि 11 प्रत्याशी तो ऐसे हैं जो नोटा से भी बुरी तरह हारे हैं। इनमें निर्दलीय अनूप नागर, पीयूष बृजेश राजौरिया, प्रभू जाटव, राजकुमारी, राजेंद्र प्रसाद कुशवाह, राजेंद्र सिंह गुर्जर, रामनिवास कुशवाह, रामसुंदर शर्मा, रामसेवक सखबार, इंजीनियर सूरज कुशवाह और निर्दलीय उम्मीदवार हरिकण्ठ हैं, जो 555 से लेकर लगभग 2400 वोट के बीच सिमटकर रहे गए हैं। जबकि नोटा को 4914 वो मिले हैं। नोटा से ज्यादा आजाद समाज पार्टी के नीरज चंदसौरिया को 7544 वोट मिले हैं।
मतगणना के दौरान पांच ईवीएम व वीवीपैट मशीनें ठप पड़ गईं, इस कारण वोटों की गिनती बीच में प्रभावित हुई। तकनीकी विशेषज्ञों ने चार मशीनों को दुरुस्त कर दिया, लेकिन मुरैना विधानसभा के मतदान केंद्र 269 की ईवीएम की स्क्रीन ऐसी बंद हुई, कि डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद भी वह ठीक नहीं हुई। बाद में इस मतदान केंद्र के वोटों की गिनती मेल्यूअल तौर पर करने का निर्णय लिया गया और वोटर वेरीफिएबल पेपर आडिट ट्रेल यानी मत सत्यापन पर्ची (वीवीपैट) से एक-एक वोट गिना गया।
सर्वर ठप, ईवीएम के बाद तक चली डाक मतपत्र की गणना
- चुनाव में हार-जीत ताे लगी रहती है। जनता का फैसला पूरे मन से स्वीकार है। मेरा परिवार बीते 45 साल से मुरैना-श्योपुर क्षेत्र की सेवा में करता रहा है, इस हार से हमारी भावनाओं में कोई बदलाव नहीं होगा। मैं और मेरा परिवार आगे भी इसी तरह जनता की सेवा करता रहेगा। विश्वास के साथ कहता हूं हार-जीत से कोई फर्क नहीं पड़ता, द्ण इच्छा के साथ आगे की तैयारी करेंगे।