Survey of the damage caused by floods in Morena: मुरैना, नईदुनिया प्रतिनिधि। पिछले दिनों चंबल अंचल में आई भयानक बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए भारत सरकार ने मुरैना और श्योपुर जिलों की जमीनी हकीकत जानने के लिए केंद्रीय दल भेजा है। सोमवार को केंद्रीय दल मुरैना जरूर आया, लेकिन ऐसे किसी गांव में नहीं पहुंचा, जहां बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। दिल्ली से आए अफसरों ने बाढ़ से नुकसान के नाम पर नेशनल हाईवे पर एक पुल व एक पुलिया को देखा। अफसरों से जानकारी जुटाई और सीधे श्योपुर निकल गए। केंद्रीय राहत दल में डिपार्टमेन्ट आफ एग्रीकल्चर कार्पोरेशन एंड किसान कल्याण के संचालक डा. एके तिवारी, मिनिस्ट्री आफ वाटर रिर्सोसेस अधीक्षण यंत्री मनोज तिवारी और मिनिस्ट्री आफ रूलर डिपार्टमेन्ट के आरके श्रीवास्तव सोमवार दोपहर मुरैना आए। मुरैना रेस्ट हाउस पर कलेक्टर बी कार्तिकेयन के साथ बैठकर जिलेभर में बाढ़ से हुए नुकसान की जानकारी ली। इसके बाद जमीनी हकीकत देखने सबलगढ़ क्षेत्र के अटार घाट के गांवों में बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने निकले, लेकिन चंबल नदी किनारे अटार क्षेत्र में यह अफसर नहीं पहुंचे। इस दौरान नेशनल हाईवे 552 के क्वारी नदी पर बने पुल और सबलगढ़ के टेंटरा के पास गजाधर का पुरा की पुलिया को देखा। बाढ़ से नेपरी पुल की एप्रोच रोड धंसक गई थी और गजाधर का पुरा की पुलिया क्षतिग्रस्त हो गई थी। अटार जाने की बजाय केंद्रीय दल से सबलगढ़ एसडीएम एलके पाण्डेय से कुछ देर चर्चा की और फिर श्योपुर रवाना हो गए। इस दौरान एडिशनल कमिश्नर अशोक कुमार चौहान, संयुक्त आयुक्त विकास राजेन्द्र सिंह, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक अरविन्द विश्वरूप, तहसीलदार शुभ्रता त्रिपाठी आदि मौजूद थे।
सर्वे पूरा कर पटवारी भी गए हड़ताल परः बाढ़ पीड़ित किसान व ग्रामीणों के नुकसान का सर्वे करने के लिए पटवारियों ने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी थी। 15 अगस्त की शाम जिलेभर के पटवारियों ने बाढ़ के नुकसान का सर्वे पूरा कर लिया और सोमवार की सुबह सर्वे की पूरी रिपोर्ट कलेक्टर बी कार्तिकेयन को सौंप दी गई। गौरतलब है कि बाढ़ के कारण पटवारी दो बार अपनी हड़ताल स्थगित कर चुके हैं। बाढ़ का सर्वे करने के बाद पटवारी कलमंबद हड़ताल पर चले गए हैं, इससे तहसीलों से जुड़ा काम पूरी तरह ठप हो गया है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों में भी काम ठप पड़े हैं, क्योंकि 22 जुलाई से ग्राम पंचायतों के सचिव व रोजगार सहायक भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के कारण जनपदों से सामान्य कामकाज से लेकर गांवों में मनरेगा के काम भी बुरी तरह प्रभावित हैं। बाढ़ ने कहर ढाया तो पंचायतों के सचिव व रोजगार सहायक भी आंदोलन व धरनों को छोड़कर अपनी-अपनी पंचायतों में मोर्चा संभालने पहुंच गए हैं। पंचायत सचिव व रोजगार सहायकों ने कई गांवों में बाढ़ पीड़ितों के भोजन की व्यवस्था संभाली थी।
1340 बाढ़ पीड़ितों के खातों में राहत राशि पहुंचीः प्रशासन ने बाढ़ पीड़तों को राहत राशि बांटना शुरू कर दिया है। अब तक 1340 बाढ़ पीड़ितों के खातों में राहत राशि का भुगतान हो चुका है। शेष बचे 3873 पीड़ितों के खातों में आज राहत राशि का भुगतान कर दिया गया। कलेक्टर बी कार्तिकेयन ने यह जानकारी समीक्षा बैठक में दी। जिले में अतिवर्षा से 107 गांव और बाढ़ से 136 गांव प्रभावित हुए हैं। इस बाढ़ से 7600 परिवारों के 34 हजार 634 सदस्य प्रभावित हुए हैं। कलेक्टर ने बताया कि बाढ़ से मुरैना और सबलगढ में एक-एक जनहानि हुई है, जबकि पशुहानि 41 होना पाया गया है। 324 मकान बाढ़ में पूरी तरह नष्ट हुए हैं और 1236 मकानों को आंशिक नुकसान हुआ है। सर्वे रिपोर्ट बताते हुए कलेक्टर ने कहा कि जिले में 23 कुंआ और 39 टयूबवैल बाढ से प्रभावित हुए हैं। कलेक्टर ने बिजली, पीएचई, महिला बाल विकास, पीडब्ल्यूडी, ईआरईएस, खाद्य, राजस्व, पीएमजेएसवाय आदि विभागों को निर्देश दिए कि वह पीड़ितों को अपने अपने विभाग की योजनाओं से लाभान्वित करें। कलेक्टर ने कहा कि बिजली विभाग जिले के सभी ग्रामों में बिजली सप्लाई चालू करके इस प्रकार का प्रमाण पत्र देना सुनिश्चित करें। वाट्सअप से फोटो मंगाकर विभागीय योजनाओं की पूर्ति न करें, अधिकारी स्वयं मैदान में जाकर हालात देखें।
वर्जन-
केंद्रीय दल सबलगढ़ आया था। मुझ सहित अन्य अफसरों के साथ बैठक ली, जिसमें उन्होंने बाढ़ के हालातों पर चर्चा की और नुकसान की जानकारी ली, जो हमने मुहैया करा दी। केंद्रीय दल ने नेपरी के क्वारी नदी के पुल व टेंटरा गजाधर का पुरा की पुलिया का निरीक्षण किया है। उसके बाद यह दल श्योपुर रवाना हो गया।
एलके पाण्डेय, एसडीएम, सबलगढ़