मनीष शर्मा.नईदुनिया मुरैना। चंबल क्षेत्र में छोटे से विवाद में भी बंदूक से निकली गोली सामने वाले का सीना छलनी कर देती है लेकिन बेसहारा श्वान को बचाने की बात आई तो यहां के लोगों के सीने में ऐसा दर्द झलका कि उसे बचाने में 24 घंटे से अधिक समय तक जुटे रहे। असंवेदनशीलता के आरोप झेलने वाले नगर निगम प्रशासन ने भी सारे संसाधन झोंक दिए।
एक माह का श्वान का बच्चा बुधवार शाम छह बजे मुरैना के पुलिस लाइन आवासीय परिसर के बोर के बगल में बने गहरे गड्ढे में गिरा था। स्थानीय लोगों के प्रयास असफल हुए तो रात नौ बजे के बाद से नगर निगम अमला, प्रशासन, पुलिस व आपदा प्रबंधन की टीमे मशीनों के साथ जुटीं। गुरुवार शाम सात बजे 40 फीट की गहराई से उसे निकालकर अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
दरअसल पुलिस लाइन आवासीय परिसर के बोरवेल में लोहे की केसिंग (छह इंच का मोटा पाइप) डला है। केसिंग और जमीन के बीच पौन से एक फीट तक के गेप में श्वान का बच्चा गिर गया था। पार्क में खेल रहे बच्चों ने आवाज सुनी तो आसपास के लोगों को खबर दी। पहले तो गोसेवक रुद्प्रताप सिंह व स्थानीय लोगों ने फावड़ों से खोदाई की। रात 9 बजे नगर निगम की लोडर मशीन (जेसीबी) बुलाकर खोदाई शुरू की।
रात दो बजे अंदर से आवाज आना बंद हुई तो मृत मानकर रेस्क्यू बंद कर दिया। गुरुवार की सुबह रोने की आवाज सुनकर रक्षित निरीक्षक कनक सिंह चौहान ने आपदा प्रबंधन की टीम के साथ मिलकर रेस्क्यू शुरू किया। चंबल वाटर प्रोजेक्ट में लगी बड़ी हिटैची लाकर करीब 35 फीट की खोदाई की। नीचे संबल, गैंती, फावड़े से सुरंग बनाकर आखिर उसे निकाला गया पंरतु उससे पहले वह दम तोड़ चुका था।
पुलिस लाइन में पदस्थ एक आरक्षक ने ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की, जिसे देख बैंक अफसर भी हैरान रह गए। दरअसल पुलिस लाइन में पदस्थ आरक्षक जितेंद्र सिंह तोमर कोर्ट तिराहे स्थित एसबीआई एटीएम में रुपये निकालने गए थे। जिस एटीएम से आरक्षक जितेंद्र को रुपये निकालने थे, उसमें पहले से ही 10 हजार रुपये फंसे हुए थे। यह रुपये पूर्व में आए किसी अन्य बैंक ग्राहक के थे जो एटीएम में फंस गए थे। आरक्षक ने उक्त राशि मशीन से निकाली और सीधे एबीआइ बैंक की राधिका पैलेस शाखा में पहुंचे, जहां पूरा घटनाक्रम बताते हुए बैंक मैनेजर को 10 हजार रुपये सुपुर्द कर दिए।