
डिजिटल डेस्क: मध्य प्रदेश के नीमच जिले में एक बेटी की सतर्कता और जागरूकता ने उसके बुजुर्ग माता-पिता को साइबर ठगी का शिकार होने से बचा लिया। साइबर ठगों ने खुद को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बताकर दंपती को 15 दिनों तक तथाकथित “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और मानसिक दबाव बनाते हुए 60 लाख रुपये की एफडी तुड़वा ली।
आठ दिसंबर से दंपती के पास लगातार वाट्सएप कॉल आ रहे थे। कॉल करने वाला व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम आने की बात कहकर गिरफ्तारी का डर दिखा रहा था और 60 लाख रुपये की मांग कर रहा था। डर और दबाव में आकर दंपती ने जीवन भर की जमा पूंजी से बनी एफडी तुड़वा ली।
एफडी तुड़वाने की जानकारी मिलने पर उनकी बेटी को शक हुआ। पूछने पर भी जब माता-पिता ने सही जानकारी नहीं दी तो बेटी ने तुरंत साइबर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दंपती की काउंसलिंग की और उन्हें साइबर ठगों से सुरक्षित किया। साथ ही आरोपितों को पकड़ने का आश्वासन भी दिया।
इसी तरह इंदौर में साइबर अपराधियों ने SBI के सेवानिवृत्त उप प्रबंधक को जेट एयरवेज और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का डर दिखाकर पांच लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने पांच दिनों तक वीडियो कॉल पर पूछताछ की और बाद में पांच लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
जब ठगों ने 41 लाख रुपये और मांगे तो पीड़ित बैंक पहुंचा, जहां अधिकारियों को संदेह हुआ। उन्होंने उसके बेटे को सूचना दी, जिसने तुरंत रकम होल्ड करवाई और साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद आरोपितों के बैंक खाते फ्रीज करवाए गए।
इससे पहले मुरैना जिले में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां साइबर ठगों ने 55 वर्षीय जूता व्यापारी रामसेवक शिवहरे को दिल्ली के लाल किला बम विस्फोट मामले में आतंकियों का साथी बताकर डिजिटल अरेस्ट किया। हालांकि, उनकी बेटी प्रमिला की सूझबूझ से ठगी की कोशिश नाकाम हो गई।