
नईदुनिया प्रतिनिधि, नीमच। वृद्ध दंपती ने बेटी से बात कर बैंक एफडी तुड़वाने का तरीका पूछा तो बेटी को शंका हुई। बेटी को माता-पिता की मनोदशा में भी डर की झलक नजर आई तो बेटी ने साइबर फ्राड की आशंका जताते हुए साइबर क्राइम ब्रांच इंदौर में सूचना दी और समूचा घटनाक्रम बताया।
इसके बाद साइबर क्राइम ब्रांच इंदौर के एसआई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर सेल नीमच को सूचित किया और संयुक्त कार्रवाई से साइबर फ्राड के बड़े मामले का खुलासा हुआ।
साथ ही, वृद्ध दंपती 60 लाख रुपये की बड़ी जालसाजी से बच गए। पुलिस ने मामले के पटाक्षेप के बाद वृद्ध दंपती को सुरक्षा का भरोसा दिया। साइबर फ्राड से बची वृद्ध दंपती की स्थिति अब पहले की तुलना में बेहतर है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार शहर की पाश कालोनी विकास नगर में वृद्ध दंपती अकेले निवास करती है।
पति की आयु लगभग 74 वर्ष और पत्नी की आयु लगभग 67 साल हैं। दोनों ही शासकीय विभाग में रहे हैं और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और अन्य बचतों को संचित कर सुखी जीवन जी रहे हैं। दोनों की तीन संतानें हैं, जिनमें एक बेटा और दो बेटियां हैं। वृद्ध दंपती की संतानें भी जाब होकर अच्छी तरह से स्थापित हैं।
साइबर फ्रॉड में डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने के बाद वृद्ध दंपती ने इंदौर निवासी बेटी से मोबाइल पर काल कर बात की थी। उन्होंने डर के कारण बेटी को घटनाक्रम की कोई जानकारी नहीं दी थी। बेटी से सिर्फ बैंक एफडी तुड़वाने का तरीका भर पूछा था।
आर्थिक रूप से सक्षम वृद्ध माता-पिता के इस प्रश्न से बेटी को शंका हुई और बेटी ने साइबर क्राइम ब्रांच इंदौर के एसआइ शिवम ठक्कर को सूचित कर मदद मांगी। बस फिर क्या था साइबर क्राइम ब्रांच इंदौर की सूचना पर साइबर सेल नीमच के प्रभारी प्रदीप शिंदे व टीम के सदस्य हरकत में आए। सूचना के बाद महज 7 मिनट की अवधि में प्रदीप शिंदे व टीम के सदस्य विकास नगर में वृद्ध दंपती के सामने थे।
शुरुआत में वृद्ध दंपती डर के कारण कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे लेकिन दो घंटे की काउंसलिंग और चर्चा के बाद उन्होंने टीम पर भरोसा कर साइबर फ्रॉड की कोशिश में रचे गए पूरे घटनाक्रम का खुलासा कर दिया। पुलिस के दखल के बाद उनके 60 लाख रुपये सुरक्षित हो गए और वे बड़े साइबर फ्राड व क्राइम के चंगुल से छूट गए। गहरे अवसाद और मानसिक दबाव में थे।
शासकीय विभाग से सेवानिवृत्त दंपती साइबर क्राइम की चंगुल में 8 दिसंबर से 22 दिसंबर तक रहे। इस दौरान उन्होंने डिजिटल अरेस्ट से लेकर कई बार के वाट्सएप काल और वीडियो कॉल का सामना कर कार्रवाई की चुनौती को झेला। मनी लांड्रिंग के मामले में फंसाने की धमकी को सहा।
यही कारण है कि 15 दिन की अवधि में वृद्ध दंपती गहरे अवसाद में चले गए। वे बेहद मानसिक दबाव व परेशानी में खुद को महसूस कर रहे थे लेकिन नीमच एसपी अंकित जायसवाल ने सीधा संवाद कर उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया और उनके मन के डर व भ्रम को दूर किया।
वृद्ध दंपती के मोबाइल पर 8 दिसंबर को पहली बार वाट्सएप पर वीडियो कॉल आया था, जिसमें एक व्यक्ति पुलिस की यूनिफार्म में था और पुलिस का कार्यालय दिखाई दे रहा था। उक्त व्यक्ति ने खुद को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बताकर वृद्ध दंपती को धमकाया।
मनी लांड्रिंग के केस में नाम आने की बात कहते हुए कार्रवाई करने की चेतावनी दी। उक्त व्यक्ति ने कई बार वृद्ध दंपती से वाट्सएप व वीडियो कॉल के जरिये चर्चा की और उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने की बात कही।
कई बार पूछताछ का हवाला देकर उक्त व्यक्ति ने वृद्ध दंपती के बैंक खातों में जमा राशि, एफडी और अन्य बचत की जानकारी प्राप्त की। पारिवारिक पृष्ठभूमि भी पता की। इसके बाद दबाव बनाकर वृद्ध दंपती की 60 लाख रुपये की एफडी तुड़वाकर फिलहाल उन्हें बैंक खातों में जमा करा दी थी। वह उक्त राशि को ठगता, इसके पहले ही पुलिस के दखल से पूरा मामला खुल गया और वृद्ध दंपती बड़े साइबर फ्राड से बच गए।
कार्रवाई में साइबर सेल नीमच के प्रभारी प्रधान आरक्षक प्रदीप शिंदे, आदित्य गौड़, आरक्षक लखन प्रताप सिंह, कुलदीप सिंह, सोनेंद्र राठौर, राहुल सोलंकी व साइबर क्राइम ब्रांच इंदौर के एसआइ शिवम ठक्कर शामिल रहे। पुलिस की अपील - अनजान नंबर से वाट्स कॉल और वीडियो कॉल रिसीव न करें। - अनजान व्यक्ति से बैंक, व्यवसाय आदि की निजी जानकारी न दें।
किसी भी व्यक्ति से ओटीपी आदि जानकारी साझा न करें। इस तरह के काल आने पर स्वजनों और परिचितों को जानकारी दें। - नजदीकी पुलिस स्टेशन, कंट्रोल रूम व साइबर सेल में सूचना दें या शिकायत करें। - कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया नहीं होती है।