----नईदुनिया एक्सक्लूसिव---- एसपी की सख्ती के बाद एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई में आई पारदर्शिता
- आर्थिक शोषण से मुक्ति के साथ ही गलत कार्रवाई से भी निजात
नीमच। नईदुनिया प्रतिनिधि
जिले में अब एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/29 का खेल खत्म हो गया है। कार्रवाई में पारदर्शिता लाते हुए एसपी ने अब धारा 8/29 के आरोपियों के नाम शुरुआत में ही एफआईआर में दर्ज करने का फरमान सुनाया है। इससे गलत कार्रवाई के साथ लोगों को आर्थिक शोषण से भी मुक्ति मिलेगी।
अफीम और डोडाचूरा की तस्करी रोकने के लिए पूर्व से पुलिस, केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो और मप्र पुलिस की नारकोटिक्स विंग को एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई के अधिकार मिले हैं। वसूली के आरोप से बचने और नाराजगी के कारण को खत्म करने के लिए नवागत एसपी तुषारकांत विद्यार्थी ने लगाम कसी है। उन्होंने तस्करी के मामले सामने आते ही एफआईआर में सहयोगियों और सप्लायरों के खिलाफ सीधे धारा 8/29 में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही समूचे मामले की जांच भी वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में करने के निर्देश दिए हैं। इसके कारण काफी हद तक धारा 8/29 के गलत उपयोग और अन्य आरोपों से पुलिस को मुक्ति मिलेगी।
एनडीपीएस एक्ट और प्रावधान
धारा 8/15 : डोडाचूरा के साथ पकड़े जाने पर संबंधित आरोपी पर इस धारा के तहत कार्रवाई की जाती है।
धारा 8/18 : अफीम तस्करी के आरोप में पकड़ाए आरोपियों पर इस धारा के तहत कार्रवाई होती है।
धारा 8/29 : तस्करी में लिप्त आरोपियों को मादक पदार्थ उपलब्ध कराने व मदद करने वालों के खिलाफ इस धारा के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाती है।
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अंकुश का कारण
एनडीपीएस एक्ट के सख्त प्रावधानों के कारण सामान्यतः ग्रामीण या किसान ऐसी कार्रवाई से बचते हैं। वे कार्रवाई के दायरे में आने से बचने के लिए मोटी रकम चुकाने में भी नहीं हिचकिचाते हैं। यही कारण है कि नीमच-मंदसौर और जावरा के अफीम उत्पादक क्षेत्र में एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई को कमाई का बड़ा जरिया माना जाता है। कार्रवाई से जुड़े पुलिस, केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो और मप्र पुलिस की नारकोटिक्स विंग पर पूर्व में वसूली के आरोप भी लगते रहे हैं। जून 2017 में क्षेत्र में हुए किसान आंदोलन के मूल में भी इसे एक कारण माना गया, जिसके चलते अब जिले में पुलिस ने धारा 8/29 में कार्रवाई बेहिसाब दायरे को सीमित कर दिया। इस पर अंकुश लगा दिया।
बदलाव का असर
अफीम व डोडाचूरा पकड़ाने की दशा में पुलिस अब सीधे मुख्य तस्करों के साथ मददगारों और सप्लायरों के नाम पर धारा 8/29 में एफआईआर दर्ज कर रही है। गिरफ्तारी कर रही है। इससे धारा 8/29 के नाम पर होने वाली अनैतिक कार्रवाई पर सख्ती से लगाम कस गई है।
रैकेट खत्म होने का दर्द और असर
- कई पुलिस अधिकारी व कर्मचारी स्वयं को बंधन में महसूस कर रहे हैं।
- धारा 8/29 के नाम पर अवैध वसूली पर रोक लगने से कई लोग खुश हैं।
- पुलिस और तस्करों के सहयोगियों के बीच की दलाली की चेन खत्म हो गई है।
- कई सफेदपोश और समाजसेवी किस्म के लोगों की दलाली से कमाई खत्म हो गई है।
पूर्व में यह चलन
- अपराधों पर अंकुश लगाने की बजाय पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की रुचि एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई में रहती थी।
- धारा 8/29 के लिए तस्करों के मददगारों की अपरोक्ष सूची बनती थी। इसके बाद पुलिस कार्रवाई के लिए सीधे पहुंचती थी।
- पुलिस और तस्करों के सहयोगियों के बीच दलाली की चेन बेहद मजबूत थी।
- एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई के बाद सफेदपोश और समाजसेवी किस्म के लोग स्वयं ही मददगार बनकर पहुंचते थे।
पूर्व में यह भी हुआ
जानकार पुलिस अधिकारियों की मानें तो एनडीपीएस एक्ट की कार्रवाई में करीब 7 से 8 घंटे का समय लगता है, लेकिन शहर के एक थाने में वर्ष 2017 की शुरुआत में एक ट्रैक्टर-ट्रॉली से डोडाचूरा पकड़ा गया था। काफी समय तक कार्रवाई नहीं की गई। बाद में मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा। प्रभावशाली दखल हुआ तो डोडाचूरा और ट्रैक्टर-ट्रॉली सहित युवक को छोड़ना पड़ा। अधिक समय तक मामला ऑन रिकॉर्ड नहीं करने पर संबंधित थाने के अधिकारी को फटकार भी पड़ी।
अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं
तस्करी के प्रकरण में अब तस्करों व उनके मददगारों के नाम मूल एफआईआर में ही दर्ज किए जा रहे हैं। यदि जांच के दौरान कोई अहम तथ्य सामने आता है तो उसका डायरी में जिक्र कर वरिष्ठ अधिकारी की मॉनीटरिंग में जांच की जाती है। अवैध वसूली या अन्य तरह की शिकायत को भी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यदि शिकायत मिलती है तो जांच के बाद संबंधित पुलिस अधिकारी या कर्मचारी पर सीधे सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- तुषारकांत विद्यार्थी, एसपी