- कमल अग्रसेन भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में रमाकांत गोस्वामी महाराज ने कही
नीमच (नईदुनिया प्रतिनिधि)। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति दिलाती है। भागवत श्रवण से पापों का नाश होता है। तपस्या समाधि से जो फल नहीं मिलता है वह सात दिन की भागवत कथा श्रवण करने से मिलता है।
यह बात रमाकांत गोस्वामी महाराज ने कही। वे गोपी महिला मंडल के तत्वावधान में चौकन्ना बालाजी के पीछे कमल अग्रसेन भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मीरा द्वारिका में समा गई। चैतन्य महाराज जगन्नाथ में समा गए। श्रीकृष्ण श्रीमद् भागवत में समा गए। अस्पताल जाने का मुहूर्त नहीं निकालते हैं। दवाई लेने का मुहूर्त नहीं निकालते हैं। भागवत का कोई मुर्हत नहीं होता है। श्रीमद् भागवत कथा कभी भी कहीं भी सुन सकते हैं। बिन विवेक सत्संग नहीं मिलता है। लोग कलियुग में बिना कारण ईर्ष्या करते हैं, इसलिए दुखी रहते हैं। भागवत ज्ञान गंगा में सभी प्रश्नों का समाधान मिलता है। दूसरों के काम आना सबसे बड़ी तपस्या है। महाराज ने आत्म देव, 18 अवतार भगवान, श्री राम, बलराम, सनातन धर्म, श्री कृष्ण अवतार, हयाति, 24 अवतार, कल्की अवतार, धुंधली, गोकर्ण, धुंधकारी, ज्ञान, भक्ति, वैराग्य, विश्वामित्र, वृंदावन, धाम, समुध मंथन, कश्यप अवतार, नारद मुनि, वामन अवतार विषयों का वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का आयोजन रविवार से 27 अगस्त तक प्रतिदिन दोपहर एक से पांच बजे तक चौकन्ना बालाजी के पीछे कमल अग्रसेन भवन सभागार में आयोजित की जाएगी। श्रीमद् भागवत शुभारंभ पर रविवार सुबह नौ बजे घंटाघर के समीप नया बाजार स्थित नरसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद कथा वाचक महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत शंखनाद अमृत जल कलश शोभायात्रा निकाल कर किया गया। शोभायात्रा में सबसे आगे बैंड पर श्रीमद् भागवत के भजन लहरिया बिखर रही थी। श्रद्धालु नृत्य की मस्ती में झूम रहे थे। भागवताचार्य बग्घी में विराजित थे। बग्घी को फू लों से सजाया गया था। यात्रा श्रीराम चौक घंटाघर, गोपाल मंदिर, जाजू बिल्डिंग, तिलक मार्ग, अग्रसेन वाटिका, रेलवे स्टेशन रोड आदि प्रमुख मार्गो से होती हुई चौकन्ना बालाजी के पीछे कमल अग्रसेन भवन पर पहुंचकर श्रीमद् भागवत कथा में परिवर्तित हो गई।
--------------
पर्यावरण मित्रों ने दो घंटे श्रमदान कर उखाड़ी गाजर घास
नीमच। स़ंकल्प पर्यावरण मित्र संस्था के साप्ताहिक अभियान के तहत संस्था सदस्यों द्वारा रविवार को सुबह आठ से 10 बजे तक जवाहर नगर स्थित ग्रीन बेल्ट पार्ट-टू एवं ग्रीन बेल्ट पार्ट-एक में दो घंटे श्रमदान कर एक ट्राली से अधिक गाजर घास उखाड़ी। इसके पश्चात् ग्रीन बेल्ट परिसर में संस्थापक संरक्षक नवीन अग्रवाल के नेतृत्व में फलदार, छायादार, आम, पीपल, जामुन, बादाम, खिरनी आदि के विभिन्न प्रजातियों के पोधे रोपित कर पेड़ बनाने का संकल्प लिया गया। संस्था महासचिव कि शोर बागड़ी ने बताया कि संस्था का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना एवं जिले भर में चहुं ओर हरियाली की चादर ओढ़ाकर प्रकृति को संवारना है। इस अवसर पर संस्था सरक्षक नवीन अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रमेश मोरे, उपाध्यक्ष डा. राके श वर्मा, राजकु मार सिन्हा, सगंठन सचिव दुलीचंद कनेरिया, के शव मनोहर सिंह चौहान सहित अन्य मौजूद रहे।
21-एनसीएच-09- नीमच में पर्यावरण मित्र संस्था द्वारा साप्ताहिक अभियान के तहत सफाई अभियान चलाया। (नईदुनिया)
--------------
रेवली देवली पैदल यात्री खाटू श्याम रवाना
नीमच। क्षेत्र के ग्राम रेवली देवली स्थित शीतला माता मंदिर से पैदल यात्रियों का एक दल ने रविवार को राजस्थान स्थित बाबा खाटू श्याम के लिए रवाना हुआ। पैदल यात्रा करीब 450 किमी की पैदल यात्रा तय कर बाबा के मंदिर पहुंचेंगे, जहां बाबा को निशान अर्पित करेंगे। कार्यक्रम में समाजसेवी एवं श्याम प्रेमी कि शोर नागदा ने हरी झंडी व फीता काटकर यात्रियों को रवान्ना किया। इस अवसर पर दिलीप नागदा, राहुल नागदा, विनोद नागदा, नागेश नागदा, ईश्वर नागदा, देव नागदा, छोटू नागदा, सुनील नागदा, कालू नागदा, नंदलाल नागदा, दीपक नागदा, चेतन शुक्ला, रामेश्वर नागदा सहित अन्य मौजूद रहे।
21-एनसीएच-10- नीमच के ग्राम रेवली देवली से खाटूश्याम पैदल यात्रा रवानी हुई। (नईदुनिया)
--------------
दीर्घायु भव परिवार एवं स्व सहायता समूह द्वारा पौधारोपण किया
अठाना। नगर में आादी के अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत रविवार को दीर्घायु भव परिवार एवं स्व सहायता समूह द्वारा पौधारोपण विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया। मिनाक्षी धाकड़ ने बताया है कि आज प्रकृति में मधुमक्खी पालन के माध्यम से जैव चक्र को मजबूत बनाने के इसी क्रम में पर्यावरण में हरितमा के विस्तार के लिए रविवार को दीर्घायु भव परिवार एवं सृजनशील महिला स्व सहायता समूह द्वारा पौधारोपण किया गया। साथ ही उन्हें अगले वर्षों तक संरक्षित करने का संकल्प भी लिया गया।
21-एनसीएच-11- अठाना में विभिन्न प्रजातियों के पौधों को रोपण किया गया। (नईदुनिया)