नईदुनिया प्रतिनिधि पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व की शान हथिनी वत्सला की मंगलवार दोपहर 1:30 बजे मौत हो गई। हाथी की औसत उम्र 90 वर्ष होती है, लेकिन वत्सला की आयु 100 साल से अधिक मानी जाती है। हालांकि उसकी उम्र के आधिकारिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। पार्क प्रबंधन ने विधि-विधान से उसका अंतिम संस्कार कर दिया है।
वत्सला केरल के नीलांबुर फारेस्ट डिवीजन में पली-बढ़ी है। उसका प्रारंभिक जीवन नीलांबुर वन मंडल (केरल) में वनोपज परिवहन का कार्य करते हुए बीता। 1971 में केरल के जंगलों से उसे मप्र के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) के बोरी अभयारण्य में लाया गया था। तब उसकी उम्र 50 वर्ष से अधिक थी।
1993 में उसे पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया था। वत्सला को 2003 में सेवानिवृत्त कर दिया गया था। पार्क प्रबंधन वत्सला की नियमित रूप से देखभाल कर रहा था। हाल ही में हिनौता हाथी कैंप में वह गिर गई थी, जिसके बाद से उठ नहीं पाई।
वन्य प्राणी चिकित्सक डा. एसके गुप्ता ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के ही नर हाथी रामबहादुर ने 2003 और 2008 में दो बार प्राणघातक हमला कर वत्सला को बुरी तरह से घायल कर दिया था। 2003 में मंडला परिक्षेत्र स्थित जूड़ी हाथी कैंप में नर हाथी रामबहादुर (42 वर्ष) ने वत्सला के पेट पर हमला किया तो उसके दांत पेट में घुस गए थे। हाथी ने झटके के साथ सिर को ऊपर किया जिससे वत्सला का पेट फट गया और उसकी आंतें बाहर निकल आई थीं।
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डॉ. गुप्ता ने तब 200 टांके लगाए थे। नौ महीने तक वत्सला का इलाज किया गया। समुचित देखरेख और बेहतर इलाज से अगस्त 2004 में वत्सला का घाव भर गया। फरवरी 2008 में नर हाथी रामबहादुर ने दोबारा अपने दांत से वत्सला हथिनी पर हमला करके घाव कर गहरा दिया था। नतीजा यह हुआ कि छह माह तक उपचार चला और इसके बाद वह ठीक हो गई। हथिनी वत्सला अत्यधिक शांत और संवेदनशील थी।