Black Wolf in MP: नईदुनिया प्रतिनिधि, पन्ना। एक बार फिर पन्ना टाइगर रिजर्व चर्चा में है। यहां के बफर क्षेत्र में पहली बार काला भेड़िया देखा गया है, जो वन्य जीव प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। विभिन्न प्रजाति के शाकाहारी व मांसाहारी वन्य जीवों के घर पन्ना टाइगर रिजर्व की विशिष्ट पहचान इसीलिए है क्योंकि यहां का मौसम भी विविधता से परिपूर्ण (4 से 48 डिग्री सेल्सियस) रहता है। दुर्लभ काले भेड़ियों की यह तस्वीर रूपेश कुकाडे ने किशनगढ़ के जंगल से गुजरने वाले हाइवे के पास ली है।
जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में जहां बाघ, तेंदुआ, भालू सहित विभिन्न प्रजाति के मांसाहारी वन्य प्राणियों के साथ चीतल, सांभर, चिंकारा व चौसिंगा जैसे शाकाहारी वन्य जीव प्रचुर संख्या में पाये जाते हैं।
वहीं यहां पर विलुप्तप्राय दुर्लभ काले भेड़िये की भी मौजूदगी के सबूत मिले हैं। काले भेड़िये पन्ना टाइगर रिजर्व के किशनगढ़ बफर के जंगल से गुजरने वाले हाइवे के पास देखे गए हैं, जो निश्चित ही खुशी की बात है। मालूम हो कि अगस्त 2021 में पन्ना टाइगर रिजर्व में फिशिंग कैट के प्राकृतिक आवास की भी पुष्टि हुई थी।
उल्लेखनीय है कि बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाइगर रिज़र्व में जंगल के राजकुमार कहे जाने वाले तेंदुओं की तादाद सर्वाधिक पाई गई है। जाहिर है कि मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट के साथ तेंदुआ स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व की अहम भूमिका रही है।
अब यहां के जंगलों में काले भेड़ियों की मौजूदगी यह बताती है कि जैव विविधता के मामले में पन्ना के जंगलों का कोई मुकाबला नहीं है। काले भेड़िया इसके पूर्व पन्ना के अलावा मध्य प्रदेश में कहीं देखे गए हैं या नहीं इसकी प्रामाणिक जानकारी नहीं है। लेकिन जानकारों का यह कहना है कि शायद पन्ना में ये पहली बार देखे गए हैं।
राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य हनुमंत प्रताप सिंह (रजऊ राजा) का कहना है कि काले भेड़िए का पन्ना में देखा जाना पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिए बहुत ही सुखद और उत्साह पैदा करने वाली खबर है। आने वाले समय में यदि इनकी संख्या बढ़ती है तो निश्चित ही इससे पर्यटन और बढ़ेगा जिसका लाभ पन्ना को मिलेगा। आमतौर पर पन्ना टाइगर रिजर्व में भूरे रंग के भेड़िये नजर आते हैं, लेकिन काले रंग के भेड़ियों की यहां पर मौजूदगी पहली बार पाई गई है। ये भेड़िये भी शिकार करने में माहिर होते हैं।
बीएच लैब द्वारा भेड़ियों की तस्वीर एक्स हैंडल पर पोस्ट की है, जिसमें कहा गया है कि पहली बार भारत में शुद्ध काले भेड़ियों की तस्वीर खींची गई है। तस्वीर में अलग-अलग काले रंग वाले दो भेड़िये दिखाई दे रहे हैं। काले भेड़िये दुर्लभ होते हैं, लेकिन पहले में अमेरिका सहित कई देशों से इनके होने की सूचना मिली है।
2009 के एक अध्ययन के अनुसार, काले भेड़िये ऐसे भेड़िये हैं जो एक उत्परिवर्तन रखते हैं। जिसके कारण उनकी खाल काले रंग की हो जाती है। यह उत्परिवर्तन संभवतः पालतू कुत्तों से हुआ था, क्योंकि वे भेड़ियों के साथ प्रजनन करते थे।
भारत में भेड़ियों की दो प्रजातियां इंडियन ग्रे वुल्फ और हिमालयन वुल्फ पाई जाती हैं। भारतीय ग्रे वुल्फ राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के हिस्सों में पाए जाते हैं, जबकि हिमालयी भेड़िया ऊपरी हिस्से जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और सिक्किम में पाए जाते हैं।
दोनों को ही लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा 2022 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि देश में केवल 3100 ग्रे भेड़िये बचे हैं। यही वजह है कि भेड़ियों को भी बाघों की तरह संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है।