नईदुनिया प्रतिनिधि, पन्ना/छतरपुर। पन्ना स्थित वन स्टाप सेंटर में रखी गई दुष्कर्म की पीड़िता नाबालिग को महिला बाल विकास विभाग व बाल कल्याण समिति ने बिना जांच पड़ताल किए रिश्तेदार महिला के सुपुर्द कर दिया, जहां पहुंचकर दुष्कर्म के आरोपित ने उसके साथ दोबारा दुष्कर्म किया। मामला संज्ञान में आने पर छतरपुर की जुझारनगर पुलिस ने बाल कल्याण समिति पन्ना के अध्यक्ष, समिति के पांच सदस्य, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, वन स्टाप सेंटर के तीन कर्मचारी और एक अन्य महिला के विरुद्ध अपराध दर्ज किया है।
पुलिस ने समिति सदस्य आशीष बास को गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार पन्ना जिले के पवई क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग 16 जनवरी 2025 को स्कूल जाने के लिए घर से निकली लेकिन वापस नहीं लौटी। स्वजन ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस ने नाबालिग को 17 फरवरी को गुरुग्राम (हरियाणा) से बरामद किया था। इस मामले में बारीगढ़ छतरपुर निवासी रामप्रसाद कुशवाह को गिरफ्तार कर जेला भेजा गया था, जो वर्तमान में जमानत पर है। इधर बाल कल्याण समिति ने 29 मार्च को नियम विरुद्ध तरीके से पीड़िता को उसकी एक रिश्तेदार महिला(छतरपुर निवासी) के घर भेज दिया। जहां पहुंचकर आरोपित ने दोबारा दुष्कर्म किया।
नाबालिग के स्वजन ने बेटी को सुपुर्द करने के लिए कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन दिया। तब कलेक्टर ने बाल कल्याण समिति को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए। नाबालिग को 29 अप्रैल को दोबारा वन स्टाप सेंटर भेज दिया गया। इस बीच उसने काउंसलिंग के दौरान बताया कि उसके साथ दोबारा भी दुष्कर्म हुआ। तब यह मामला खुला। छतरपुर एसपी ने मामले की जांच एडिशनल एसपी की निगरानी में पुलिस टीम को सौंपी। जांच में पाया कि बाल कल्याण समिति के गलत निर्णय से ही नाबालिग दोबारा दुष्कर्म का शिकार हुई।
एफआईआर दर्ज कराने के बजाय मामले पर पर्दा डाल दिया गया। इसके बाद जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अवधेश सिंह, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप जड़िया, सदस्य अंजलि भदौरिया, आशीष बास, सुदीप श्रीवास्तव, प्रमोद कुमार सिंह, वन स्टाप सेंटर की प्रशासक कविता पांडेय, काउंसलर प्रियंका सिंह, शिवानी शर्मा और अंजलि कुशवाहा के व मुख्य आरोपित के विरुद्ध पाक्सो अधिनियम की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है।
पीड़ित नाबालिग ने बाल कल्याण समिति से अपने भाइयों के घर जाने के बजाय रिश्तेदार महिला के घर जाने की बात कही थी लेकिन बाल कल्याण समिति ने इस बात पर जांच-पड़ताल नहीं किया कि उस रिश्तेदार महिला की ही रिश्तेदारी में दुष्कर्म का आरोपित है। ऐसे में पीड़िता जब अपनी रिश्तेदार महिला के घर आकर रहने लगी तब दुष्कर्म का आरोपित वहां पहुंचा और दोबारा दुष्कर्म किया।