पन्ना, नईदुनिया प्रतिनिधि। श्री पांच पद्मावतीपुरी धाम पन्ना में आयोजित अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला में सोमवार की शाम सद्गुरु के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली श्री प्राणनाथ जी की दिव्य शोभायात्रा श्री खेजड़ा मंदिर से भक्ति भाव से परिपूर्ण होकर उत्साह व धूमधाम के साथ सोमवार को शाम पांच बजे से निकाली गई। इस ऐतिहासिक सवारी रथ में श्रीजी की मनमोहक सेवा शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण रही। जिसकी एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु बेताब दिखे। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण अन्य राज्यों से श्रृद्धालु पन्ना कम संख्या में आ सके। इसके अलावा सीमित संख्या में स्थानीय श्रृद्धालु शासन द्वारा जारी कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए सवारी निकाली गई।
नगर के प्रमुख मार्गों से निकली श्रीजी की सवारी : प्रणामी सम्प्रदाय के आस्था का केंद्र अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से सोमवार शाम पांच बजे से अखंड मुक्तिदाता, निष्कलंक बुद्ध अवतार महामति प्राणनाथ जी की सवारी जब निकली तो ऐसा लगा मानो सभी संत मनीषी विविध रूप धारण कर इस सवारी की शोभा बढ़ा रहे हों। दिव्य रथ पर सवार श्री जी तथा धर्मगुरु इस भव्य सवारी की धर्म निष्ठता व भक्तिभाव के साथ 400 वर्षों से सतत आयोजित होने वाले इस ऐतिहासिक आयोजन के साक्षी बने। श्री जी की इस दिव्य सवारी में नगर के निवासियों ने तहे दिल से स्वागत किया। वहीं प्रणामी धर्म के स्थानीय अनुनायियों ने जगह-जगह श्री जी की आरती उतारकर पुण्य लाभ लिया।
सद्गुरु के सम्मान का प्रतीक है तेरस की सवारी : अंतरराष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव के दौरान पन्ना नगर में सैकड़ों वर्षों से लगातार श्री जी की सवारी भव्य स्वरूप के साथ निकाली जाती है। इस सवारी का आयोजन पहली बार बुंदेलखंड केशरी महाराजा छत्रसाल जी ने किया था। सद्गुरू के सम्मान का प्रतीक कही जाने वाली इस तेरस की सवारी को लेकर मान्यता है कि जब बुंदेलखंड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आशीर्वाद दिया था और कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक में इसी खेजड़ा मंदिर में ही रुकूंगा। तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर फतह हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरु महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बैठाकर अपने कंघों का सहारा देकर श्री प्राणनाथ जी मंदिर में स्थित गुम्मट बंगला जिसे ब्रम्ह चबूतरा भी कहते हैं में लाए थे। जिसके प्रतीक स्वरूप तभी से यह आयोजन हर वर्ष किया जाता है। श्री खेजड़ा जी मंदिर से निकली श्री जी की सवारी को श्री प्राणनाथ जी मंदिर की कुल तीन किलोमीटर तक की यात्रा में सात से आठ घंटे का समय लग जाता है।
श्री जी की आरती और फूलों की वर्षा कर किया स्वागत : धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व की इस शोभायात्रा में पन्ना नगर वासियों ने भी पूरे उत्साह व भक्ति भाव के साथ बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई। रथ में सवार श्री जी की एक झलक निहारने के लिए लोग घंटों सड़क के किनारे खड़े रहे। सवारी के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह श्री जी की आरती उतारी व फूलों की बारिश कर स्वागत किया गया साथ ही शोभा यात्रा में सम्मिलित सुन्दरसाथ को मिठाइयां बांटी गईं।