नईदुनिया प्रतिनिधि, पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के सरकारी अस्पताल में लापरवाही एक बार फिर एक मासूम जान और उसकी मां की मौत का कारण बन गई। अजयगढ़ तहसील के ग्राम भैराहा निवासी मोना सेन की जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान मौत हो गई, जबकि गर्भ में पल रहे बच्चे की भी जान नहीं बचाई जा सकी। इस हृदय विदारक घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
परिवारवालों का कहना है कि मोना की तबीयत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और स्टाफ ने न तो समय पर इलाज किया और न ही समय रहते महिला को रेफर किया। परिजन घंटों तक अस्पताल में एक कमरे से दूसरे कमरे में डॉक्टरों से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, इलाज के अभाव में महिला और नवजात दोनों की मौत हो गई।
मृतका के स्वजन शिव नारायण सेन का कहना है कि हम जैसे ही पन्ना अस्पताल पहुंचे, तुरंत डॉक्टर को दिखाया, लेकिन हालत बिगड़ती रही। हमने बार-बार कहा कि महिला को रेफर कर दो, लेकिन हमें घंटों तक भटकाया गया। अगर समय पर ध्यान दिया गया होता, तो आज हमारे घर में मातम नहीं होता।
वहीं, अस्पताल प्रशासन इस मामले में हार्ट अटैक से मौत होने की बात कह रहा है, लेकिन परिजनों और स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मौत नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी है। इस घटना के बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं और स्टाफ की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
पन्ना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजेश तिवारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। अगर लापरवाही पाई गई, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।