पन्ना। पठार की गोद में बसी पन्ना नगरी जो कभी महाराजा छत्रसाल की राजधानी हुआ करती थी, जिसकी शान राजाओ द्वारा बनवाए गए तालाब है। नगर में बने ये तालाब नगर के प्राकृतिक सौंदर्य में पिछले कई दशकों से चार चांद लगा रहे थे जो रखरखाव के कारण सुखने की कगार पर पहुंच गए हैं। करीब ढाई सौ वर्ष पूर्व तत्कालिक राजाओं द्वारा बनवाए गए विशाल तालाब जिनमें लोकपाल सागर, निरपत सागर, कमलाबाई तालाब और धरम सागर तालाब के साथ-साथ नगर के अंदर छोटे-बड़े ताल-तलैयों व कुओं का निर्माण कराया गया था जो आज भी जीवंत हैं किन्तु प्रशासनिक देख-रेख के आभाव के चलते इनका अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है।
विशाल ऐतिहासिक तालाबों के रकबे सिकुड़ गए हैं, कारण लोगों ने तालाब की जमीनों पर मनमाने तरीके से अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया है, यहां तक कि तालाबों में आने वाले वर्षा के जलस्रोतों को भी लोगों ने नहीं छोड़ा है, जिस कारण तालाबों में बारिश के पानी की भी पहुंच कम हो गई है। पेयजल का स्रोत जीवनदायी तालाब अब अपना अस्तित्व खोने की कगार पर हैं। समय रहते जिला प्रशासन व नगर पालिका नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब यह तालाब अपना अस्तित्व खो देंगे। नगर में पानी के स्थाई स्रोत न होने के कारण सैकड़ों वर्ष पूर्व के नरेशों ने पानी की किल्लत से बचने के लिए दर्जनों की संख्या में तालाबों का निर्माण करवाया गया था।
नगर के महत्वपूर्ण एतिहासिक तालाबों के रकवे
हनगर के चहुंओर बने विशाल ऐतिहासिक तालाबों जिनमें लोकपाल सागर तालाब का रकवा 492 एकड़ है तो निरपत सागर तालाब का रकवा 335 एकड़ का है, वहीं नगर के हृदयस्थली में बना धर्मसागर तालाब का रकवा 75 एकड़ तथा पश्चिम की ओर बना कमलाबाई तालाब का भी रकवा लगभग 20 से 25 एकड़ से कम नहीं है। वहीं नगर के अंदर स्थित ताल-तलैयों में मठया तालाब का रकवा 10 एकड़ तथा बेनीसागर तालाब 22 एकड़ में बनाया गया था जिनकी स्थिति आज दयनीय नजर आ रही है रकवे के हिसाब से यह तालाब आधे भी नहीं रह गये हैं।
दलगत राजनीति से उपर उठकर हों प्रयासः बुन्देला
हपन्ना शहर की प्राचीन धरोहर जीवनदायिनी धरमसागर तालाब के संरक्षण, गहरीकरण व जीर्णोद्घार के कार्य लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सामूहिक प्रयास होना चाहिए। यह बात नगर पालिका परिषद पन्ना के पूर्व अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह बुंदेला ने धरमसागर तालाब की दुर्दशा पर चिन्ता जाहिर करते हुए कही। दुर्भाग्यजनक यह है कि तालाब जलविहीन होने की कगार पर है,इस दुर्भाग्य को सौभाग्य में भी बदला जा सकता है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों व प्रशासन को दृढ़ इच्छा शक्ति दिखानी होगी। श्री बंदेला ने कहा कि यदि शीघ्र कार्य प्रारंभ नहीं कराया गया तो हम जनसहयोग से घाटों की सफाई व जीर्णोद्घार का कार्य प्रारंभ करेंगे।