रायसेन (ब्यूरो)। कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों ने जिले के बाड़ी ब्लाक के विभिन्न गावों में धान की फसल का निरीक्षण किया। जिसमें सामने आया कि धान की जड़ में सड़न रोग लग रहा है, हालांकि यह रोग की प्रारंभिक अवस्था, जिसमें फसल को जरूरी उपाय गए बचाया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने किसानों को बचाव के उपाए भी बातए।
उपसंचालक कृषि एके उपाध्याय के नेतृत्व में कृषि वैज्ञानिक स्वप्निल दुबे व उनकी टीम ने बाड़ी ब्लाक के ग्राम नयागांव खुर्द, सिमरोद, कोटपार गणेष, गोल व गगनवाड़ा का दौरा कर धान की फसल की स्थिति का जायजा लिया।
निरीक्षण में सामने आया कि धान की फसल में बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट व जड़ सड़न रोग का प्रारंभिक प्रकोप दिखाई दे रहा है। बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग में पत्ती ऊपर से नीचे की ओर धारीदार पट्टी बनाकर सूखने लगती है, इसके नियंत्रण के लिए किसान कॉपरआक्सीक्लोराइड 500 ग्राम - स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 24 ग्राम 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने रोग के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जड़ सड़न रोग में मुख्यत प्रारम्भिक अवस्था में पौधे की पत्तियां हल्की पीली पड़कर सूखने लगती हैं व पौधों का उखाड़कर देखने पर जड़ हल्के भूरे रंग की दिखाई देती है व गल जाती है। इसके नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम - मेन्कोजैब 1 से 1.5 किग्रा या थायोफिनेटमिथाईल 1 किग्रा मात्रा को 10 किग्रा यूरिया या रेत में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना चाहिए। खेत का पानी बदलें व ट्राइकोडर्मा विरिडी - स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स 1 किग्रा मात्रा को 5 किग्रा रेत के साथ मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। धान की फसल में शीथ ब्लाईट नियंत्रण हेतु हैक्साकोनाजोल 5 प्रतिषत ई.सी. 1.0 लीटर/हैक्टेयर तथा ब्लास्ट रोग के नियंत्रण हेतु ट्राईसाइक्लाजोल 75 प्रतिषत डब्लयू.पी. 300 ग्राम/हैक्टेयर की दर से प्रयोग करें। निरीक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र, रायसेन के वैज्ञानिक डॉ. स्वप्निल दुबे, प्रदीप कुमार द्विवेदी, जितेन्द्र नामदेव, सहायक संचालक कृषि दुष्यंत धाकड़, सहायक संचालक कृषि विदिशा एके रावत, ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी सीएस चौधरी, केएस रघु, केआर पटेल, एसके शर्मा, सीएम साहू, जीएस राजौरे, एके बगड़ी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।