
नईदुनिया न्यूज, सिलवानी: जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बटेर के अंतर्गत आने वाला टोला बड़ाखेत आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यहां न सड़क है, न पुल और न ही इलाज की सुविधा। बरसात में यह गांव पूरी तरह से बाकी दुनिया से कट जाता है।
सिलवानी मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की आबादी करीब 450 है। बरसात शुरू होते ही यह गांव टापू बन जाता है। बड़ाखेत से ग्राम खैरी तक 2.5 किलोमीटर का कच्चा रास्ता दलदल, कीचड़ और उफनती नदी से होकर गुजरता है।
यहां गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान भी खाट पर लेटाकर नदी पार कराई जाती है। छोटे बच्चे पिता के कंधों पर बैठकर स्कूल जाते हैं। 14 मिडिल और 4 हाईस्कूल के छात्र हर दिन जान जोखिम में डालकर ग्राम खैरी के स्कूल जाते हैं। कुछ बच्चों ने डर के कारण पढ़ाई छोड़ दी है।
टोला बड़ाखेत में इलाज की सुविधा नहीं है। बीमारों को खाट पर बांधकर 2.5 किमी दूर खैरी ले जाना पड़ता है। वहां से वाहन से सिलवानी सिविल अस्पताल पहुंचाया जाता है। आंगनबाड़ी में दर्ज 34 बच्चों का आना-जाना भी चुनौती है।
ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला। एक गर्भवती महिला ने बताया, “खाट पर लेटकर नदी पार करने में मौत का डर लगता है। रास्ते में प्रसव होने का भी खतरा रहता है।”
मुन्नालाल कुशवाहा ने कहा, “इलाज के अभाव में 5 साल पहले 2 महिलाओं की मौत हो चुकी है।”
रजनी बाई ने बताया, “3 किमी कच्चे रास्ते में घुटने-घुटने कीचड़ और दलदल पार करना पड़ता है। सांप-बिच्छू भी मिलते हैं।”
छात्र बाबू ठाकुर ने कहा, “पापा के कंधों पर नदी पार करते हैं। डर लगता है कि हादसा न हो जाए।” छात्र रितेश ठाकुर ने बताया, “नदी उफान पर होने से 10–15 दिन स्कूल जाना बंद करना पड़ता है।”
पीसी शाक्या ने कहा, “टोला बड़ाखेत में पुल और सड़क निर्माण को लेकर मौका मुआयना कर वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखा जाएगा।”
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