रायसेन/दीवानगंज (नवदुनिया प्रतिनिधि)। जिले के दीवानगंज के नजदीक रेलवे का फाटक बंद होने के कारण किसानों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। छह गावों के सैकड़ों लोग पटरी पार करके आवागमन करते हैं। अंडरब्रिज में बारिश के कारण कीचड़ हो जाती है। पुलिया से आवागमन बंद होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। रेलवे ट्रैक पर बने आमजन के लिए निकलने का पुराना रेलवे गेट ही बंद कर दिया गया है। लोगों को मोटरसाइकिल भी चार कंधों पर ले जाकर रास्ता पार करना पड़ता है।
रेलवे पटरियां पार करके बीमार और गर्भवती महिलाओं को तो ले जाना आम बात है। सांची विधानसभा क्षेत्र के ग्राम अंबाड़ी, छपराई के पास रेलवे क्रॉसिंग फाटक का दो साल से बंद है। फाटक को खोलने की मांग कई दिनों तक ग्रामीणों ने की है, क्योंकि अस्थाई तौर पर ग्रामीण यहां से निकल जाते थे। अब रेलवे विभाग ने फाटक के रास्ते को पूरा बंद कर दिया है। जिससे जान जोखिम में डालकर छह गांवों के ग्रामीण रेलवे पटरियां पार करते हैं। यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बता दें कि केमखेड़ी, घोड़ाचौक, पिपरई, कालीटोर, शक्ति, मुनारा आदि गांव के ग्रामीण इसी रास्ते से होकर अपने जरूरी काम के लिए भोपाल, विदिशा, सांची, सलामतपुर, दीवानगंज आदि जगह जाते हैं। रेलवे फाटक बंद होने से इन ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बड़े वाहन रेलवे लाइन की दूसरी और नहीं पहुंच पाते हैं। वही कुछ लोगों की जमीन रेलवे क्रॉसिंग से दूसरी ओर है। वह भी अपने खेतों पर खेती करने ट्रैक्टर नहीं ले जा पाते हैं। बाइक को चार लोग उठाकर रेलवे पटरियां पार करते हैं। जिसमें जान जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। वहीं रेलवे विभाग ने अंडर पुलिया निर्माण कर दी हैं। मगर उसमें भी बरसात के मौसम में पानी भर जाता है। जिससे वाहन निकलना तो दूर की बात है पैदल निकलना भी मुश्किल है। अब ऐसे में ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि रेलवे गेट जो बंद कर दिया गया है उसको खोला जाए। अगर रेलवे फाटक जल्द ही नहीं खोला गया तो बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन सहित आंदोलन किया जाएगा।
दस किमी का अतिरिक्त फेरा लगाना पड़ता है
दीवानगंज, अंबाड़ी, सलामतपुर के ग्रामीणों को ट्रक इत्यादि से रेल पटरियों के दूसरी ओर जाने के लिए दस किमी का अतिरिक्त फेरा लगाना पड़ता है। ग्रामीणों को रेलवे फाटक से आवागमन करने में काफी सुविधा होती थी। जब से फाटक बंद हुआ है तब से ग्रामीणजन परेशान हो रहे हैं। अधिकांश ग्रामीणों के खेत पटरी के उस पार हैं। पटरी के उस पार खेतों में फसलों की कटाई के बाद परिवहन करने में काफी परेशानी होती है। जब रेलवे फाटक खुला रहता था तब ग्रामीण ट्रकों, ट्रैक्टर व थ्रेसर, हार्वेस्टर से आवागमन करते थे। लेकिन जब से फाटक बंद हुआ है हार्वेस्टर निकालना मुश्किल हो रहा है। मुश्काबाद रेलवे फाटक से बड़े वाहनों को निकालना पड़ता है। यह रेलवे फाटक भी दस किमी दूर है।
रेलवे फाटक बंद होने से किसानों को आवागमन में असुविधा हो रही है। हार्वेस्टर इत्यादि निकालने में दस किमी का अतिरिक्त फेरा लगाना पड़ता है। रेलवे प्रबंधन से फाटक खोलने की मांग की जा रही है।
- थानसिंह मीणा, सरपंच ग्राम अंबाड़ी।
ग्राम सेमरा के पास रेलवे फाटक बंद करने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बहुत परेशानी होती है। यहां पर मानव रहित फाटक कई वर्षों से खुला हुआ था, लेकिन रेल विभाग ने इसे बंद कर दिया है।
- सुशीला सेना, सरपंच ग्राम पंचायत सेमरा।