
नईदुनिया प्रतिनिधि, सारंगपुर। सारंगपुर जनपद पंचायत क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत चल रहे आवास सत्यापन कार्य में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इंटरनेट मीडिया पर ऑडियो सामने आने के बाद जिला पंचायत सीईओ ने दो पंचायत सचिवो को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
दरअसल जिला पंचायत सीईओ इच्छित गढपाले के निर्देश पर इन दिनों सारंगपुर जनपद की सभी ग्राम पंचायतों में पीएम आवासों के भौतिक सत्यापन का काम चल रहा है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को खत्म करने के लिए जनपद सीईओ हेमेंद्र गोविल ने एक विशेष रणनीति अपनाई थी। इसके तहत पंचायत सचिवों की पंचायतें बदलकर उन्हें दूसरे गांवों में सत्यापन के लिए भेजा गया था।
इसी फेरबदल के दौरान ग्राम पंचायत धामंदा के सचिव रामचंद्र नागर की ड्यूटी अमलारोड गांव में लगाई गई थी।आडियो में खुली रिश्वत पोलमंगलवार को इंटरनेट मीडिया पर एक ऑडियो सामने आया, जिसने प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी। इस ऑडियो में सचिव रामचन्द्र नागर आवास सत्यापन के बदले हितग्राहियों से एक से दो हजार रुपए वसूलने की बात स्वीकार करते हुए सुने गए।
इतना ही नहीं, ऑडियो में यह चौंकाने वाला दावा भी किया गया कि अमलारोड गांव में सत्यापन के नाम पर प्रति हितग्राही दस-दस हजार रुपए तक लिए गए। यह ऑडियो सामने आते ही जिला पंचायत सीईओ ने जांच के आदेश दिए और चंद घंटों में ही दो सचिवों निलंबन की कार्रवाई कर दी।शासन की छवि धूमिल करने पर एक्शनजिला पंचायत सीईओ गढपाले के जारी निलंबन आदेश में स्पष्ट किया गया है कि ऑडियो से प्रथम दृष्टया यह साबित होता है कि प्रधानमंत्री आवास जैसी जनकल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार किया गया है।
आदेश के अनुसार, सचिव का यह कृत्य शासन की छवि धूमिल करने वाला और लापरवाही की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर मध्यप्रदेश पंचायत सेवा नियमों के तहत रामचंद्र नागर को निलंबित कर उनका मुख्यालय जनपद पंचायत सारंगपुर तय किया गया है।जबकि आमलरोड सचिव राजेंद्र सिंह रुहेला पर आरोप है कि आवास योजना में नाम जोडने के लिए हितग्राहियों से 10-10 हजार रुपये लेने की बातचीत का ऑडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि राशि लेकर पात्रता के विपरीत नाम जोडने की स्वीकृति दी जा रही थी। जिसके चलते सचिव राजेंद्र सिंह रुहेला को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। निलंबन काल में उनका मुख्यालय भी जनपद पंचायत सारंगपुर निर्धारित किया गया है।
दोनों मामलों में जिला पंचायत द्वारा संबंधित अधिकारियों को 7 दिवस के भीतर आरोप-पत्र तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही खंड पंचायत अधिकारी एवं सरपंचों को आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचित किया गया है। जिला पंचायत प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई से स्पष्ट है कि आवास योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि जांच में दोष सिद्ध होने पर आगे और भी कडी कार्रवाई की जाएगी।