सारंगपुर(नवदुनिया न्यूज)। सारंगपुर की पावन भूमि पर मंजू देवी बंशीलाल पुष्पद भक्त परिवार द्वारा विशाल रूप से सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कथा व्यास परमपूज्या कृष्णप्रिया की अमृतमयी वाणी में इस अलौकिक कथा का वाचन किया जा रहा है। चतुर्थ दिवस की पावन कथा का वाचन करते हुए परमपूज्या कृष्णप्रिया ने बताया कि पुण्यों का उदय होने पर जीवन में भक्ति आती है और जीवन मे आये दुःख हमे भक्ति की ओर ले जाते हैं। क्योंकि सुख में तो हम ईश्वर को भूल जाते हैं लेकिन दुखों में केवल वही याद आते हैं। आज का मानव बड़ा ही मतलबी है- कुछ अच्छा होने पर खुद की प्रसंशा करता है और बुरा होने पर ईश्वर को दोष देने लगता है। कथा में देवी जी ने भक्तनाम जी की कथा, जड़ भरत जैसी दिव्यमयी कथाओ व भावतवी का विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि मनुष्य का वास्तविक स्वरूप आत्मा है व शरीर क्षणिक है। ये जानते हुए भी वह परमात्मा की ओर न जाकर संसार के क्षणिक सुख-दुख में अपना पूरा जीवन व्यर्थ कर देता है। वह जानता है कि कुछ समय बाद उसकी काया समाप्त हो जाएगी फिर भी वह पशुवत जीवन जीता है। हम सभी को अपने जीवन को माता-पिता की सेवा में, बेजुवान जानवरो की सेवा में व परमार्थ कार्यो में लगाकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए जिससे ये 84 लाख योनियों की यात्रा से मुक्ति प्राप्त हो सके। आगे कथा में देवी जी ने भगवान कृष्ण के अवतार की कथा का सम्पूर्ण वर्णन किया और बड़े ही आनंदमयी भजनों के साथ देवकीनंदन कृष्ण जी के प्राकट्य उत्सव मनाया गया। लाइव प्रसारण युट्यूब के माध्यम से आकृति डिजिटल मनोज कोठार द्वारा दिखाया जा रहा है। कृष्णप्रिया जी अब तक 350 से भी अधिक कथाएं कर चुकी है। केवल भारत देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी कई भागवत आयोजन संपन्ना करा चुकी हैं। कथावाचक उस समय अध्यात्मिक दुनिया की ओर आकर्षित हुई जब वह केवल 4 वर्ष की थी। उनका जन्म 26 जनवरी 1997 में वृन्दावन में हुआ था। कम उम्र में ही अध्यात्मिक क्षेत्र की गहराई का ज्ञान होना उनके लिए आसान था, क्योंकि वह पारंपरिक धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं से जुडे परिवार में पैदा हुई थी व साथ ही माता भी अत्यंत धार्मिक व भक्त प्रवर्ति की थीं जिन्होंने सदैव उन्हें भक्ति के मार्ग पर प्रेरित किया व 5 वर्ष की आयु में गुरुदीक्षा ग्रहण की। आज वह एक प्रसिद्घ कथा वाचक एवं भजन गायिका है और जो सम्मोहक वाणी में भागवत गीता, नानी बाई रो मायरो व राम कथा इत्यादि करती है तब सुनने वाले झूमने को मजबूर हो जाते हैं। कई तो भाव से भरकर अपने आंसू भी बहाने लगते हैं। भगवान के प्रति भक्ति एवं प्रेम से लाखों लोगों को प्रभावित किया है व अध्यात्म जगत के नए युग में बहुत ही कम समय में प्रसिद्घि पाई है।