राजगढ़ में अनोखा विवाह... दुल्हन बीमार हुई तो दूल्हा बरात लेकर अस्पताल पहुंचा, गोद में उठाकर लिए सात फेरे
राजगढ़ के ब्यावरा में दुल्हन की तबीयत खराब होने पर अस्पताल में विवाह सम्पन्न हुआ। टाइफाइड से पीड़ित दुल्हन के कारण शादी की रस्में पंजाबी नर्सिंग होम में की गईं। दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाकर फेरे ले गया। यह अनोखा विवाह सभी के लिए यादगार बन गया।
Publish Date: Thu, 01 May 2025 10:46:40 PM (IST)
Updated Date: Thu, 01 May 2025 11:59:28 PM (IST)
राजगढ़ में अस्पताल में हुई शादी। (फोटो- नईदुनिया प्रतिनिधि)HighLights
- टाइफाइड से बीमार दुल्हन अस्पताल में भर्ती थी
- डॉक्टर की सलाह पर अस्पताल में शादी हुई मंडप
- तोरण सहित विवाह की पूरी सजावट हुई
नईदुनिया प्रतिनिधि, राजगढ़। राजगढ़ जिले के ब्यावरा में एक अनोखा विवाह समारोह देखने को मिला, जहां अस्पताल का परिसर वैवाहिक स्थल बन गया। अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर दुल्हन की अचानक तबीयत खराब होने के कारण शादी की रस्में अस्पताल में ही पूरी की गईं।
दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर अस्पताल पहुंचा, और दुल्हन को गोद में उठाकर सात फेरे लिए। इस अनोखे विवाह ने सभी का ध्यान खींचा। मौजूद लोग इस जोड़े के लिए आशीर्वाद देने से नहीं चूके।
दुल्हन की तबीयत बिगड़ी
- जानकारी के अनुसार, ब्यावरा की परम सिटी कॉलोनी निवासी जगदीश सिकरवार के भांजे आदित्य सिकरवार का विवाह गुना जिले के कुंभराज क्षेत्र के पुरुषोत्तमपुरा गांव निवासी स्व. बलवीर सिंह सोलंकी की पुत्री नंदनी सोलंकी के साथ तय हुआ था।
- विवाह का मुहूर्त अक्षय तृतीया का था, और बारात को दुल्हन के गांव जाना था। लेकिन 24 अप्रैल को नंदनी को टाइफाइड के कारण अचानक तबीयत खराब हो गई, जिसके चलते उन्हें ब्यावरा के पंजाबी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। तब से वह अस्पताल में उपचाररत थीं और गांव ले जाकर शादी की रस्में पूरी करना संभव नहीं था।
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डॉक्टर की सलाह पर अस्पताल में रस्में
- दुल्हन की स्थिति को देखते हुए दोनों पक्षों ने डॉ. जीके पंजाबी से परामर्श लिया। डॉ. पंजाबी ने बताया कि नंदनी को अभी अस्पताल में ही रहने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी स्थिति में विवाह की रस्में अस्पताल परिसर में ही पूरी की जा सकती हैं।
इसके बाद दोनों पक्षों और अस्पताल प्रबंधन ने पंजाबी नर्सिंग होम को विवाह स्थल में बदल दिया। अस्पताल में मंडप सजाया गया, मुख्य गेट पर तोरण बांधे गए, और विवाह की तैयारियां शुरू हो गईं। ![naidunia_image]()
दूल्हे ने गोद में उठाकर लिए सात फेरे
- विवाह के दिन बुधवार रात को दूल्हा आदित्य घोड़ी पर सवार होकर बैंड-बाजे के साथ अस्पताल पहुंचा। दुल्हन नंदनी की हालत ऐसी नहीं थी कि वह पैदल चलकर सात फेरे ले सकें। डॉ. पंजाबी ने स्थिति का आकलन कर सुझाव दिया कि दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाकर फेरे ले सकता है।
- पंडितों के निर्देश पर आदित्य ने नंदनी को गोद में उठाया और सात फेरों की रस्म पूरी की। मंत्रोच्चार के बीच यह अनोखा विवाह संपन्न हुआ, और मौजूद लोगों ने फूल बरसाकर नवदंपति को आशीर्वाद दिया।
दो साल तक नहीं था मुहूर्त
परिजनों ने बताया कि इस जोड़े के विवाह का अगला शुभ मुहूर्त दो साल बाद था। यदि अक्षय तृतीया के इस मुहूर्त में शादी नहीं होती, तो विवाह के लिए दो साल तक इंतजार करना पड़ता। इसलिए दोनों पक्षों ने अस्पताल में ही शादी करने का फैसला लिया। अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों और उनके परिजनों ने भी इस विवाह के साक्षी बनकर खुशी जताई।
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अस्पताल में सजा मंडप
24 अप्रैल से दुल्हन के भर्ती होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने विवाह के लिए विशेष व्यवस्था की। परिसर में मंडप लगाया गया। विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ सभी रस्में पूरी करवाईं। यह अनोखा आयोजन न केवल नवदंपति के लिए यादगार रहा, बल्कि अस्पताल में मौजूद सभी लोगों के लिए एक अनूठा अनुभव बन गया।