Ganeshotsav 2021:विनोद कुमार शुक्ला, रतलाम। रतलाम शहर में ऊंकाला गणपति जी का ऐसा प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनके दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह देश के वैभवशाली मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 365 साल पहले कसेरा समाज ने कराया है। तत्कालीन राजा रतन सिंह ने जब होलकर सेना से युद्ध जीता था, उसके बाद कसेरा समाज के एक हजार परिवारों को जोधपुर से रतलाम लाकर बसाया था। उसी समय समाजजन ने मंदिर बनाने का प्रस्ताव रखा, तब रतन सिंह ने ढाई बीघा भूमि दी थी।
उसी भूमि पर भगवान गणेश का मंदिर बना और 11 फीट की खड़ी मूर्ति स्थापित की गई। दस दिनी गणेश उत्सव के दौरान ऊंकाला गणपति जी का गार बदलने का विशेष महत्व है, जिसके लिए एक साल पहले से एडवांस बुकिंग होती है और उसी क्रम में श्रृंगार बदलने का मौका मिलता है। बाकी दिनों में भी श्रृंगार बदलने के लिए एडवांस बुकिंग ही करानी पड़ती है, जिसमें देश भर के विभिन्ना हिस्सों से लोग आकर शामिल होते हैं और सोने-चांदी के वर्क वाले वस्त्र या श्रृंगार पहनाकर मन्नत मांगते हैं।
स्पीड पोस्ट से आती है शादी की पत्रिकाएं, पत्र
इस मंदिर की एक और विशेषता है जो अपने आप में बिलकुल अलग है। इस मंदिर में सैकड़ों लेटर व स्पीडपोस्ट और शादी की पत्रिका भी आती है। ये लेटर देश के कोने-कोने से आते हैं, इसमें लोग अपनी समस्याएं लेख कर भेजते हैं। बताया गया कि पुजारी इस लेटर को पढ़ कर ऊंकाला गणपति जी को सुनाते हैं, जिसके बाद लोगों की तकलीफें दूर हो जाती हैं।
ब्रह्म मुद्रा में खड़ी गणेश मूर्ति
श्री रामजानकी मंदिर कसारा ऊंकाला कसारा समाज ट्रस्ट के अध्यक्ष घनश्याम कसारा बताते हैं कि खडे गणपति जी वैभवशाली मूर्ति हैं, जो दुलर्भ है। ब्रम्ह मुद्रा में मूर्ति है, यह मुद्रा तपस्वी की है, जिसका अपना विशेष वैभव है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणपति अपने भक्तों के कल्याण के लिए हमेश खड़े हैं और जो इनके पास तक जाता है,उसकी मनोकामना पूरी होती है। श्रृंगार के लिए 2100 से लेकर श्रद्धानुसार रसीद कटवाकर एडवांस बुकिंग होती हैं।
ऐसे पड़ा ऊंकाला गणपति जी नाम
बताया जाता है कि यहां पहले शंकर जी का मंदिर बना और इसके बाद पानी के लिए बावड़ी का निर्माण किया गया। बावड़ी के लिए जब कुंड बना तो तेजी से बुलबुले के साथ मीठा पानी निकलने लगा और निरंतर निकलता रहा। इसके बाद रामजानकी मंदिर और गणपति मंदिर बने तो ऊंकाला गणपति जी नाम दे दिया गया। अब इसी नाम से लोगों की आस्था जुड़ गई है, जिसकी ख्याति देशभर में है।