रतलाम। जिला अस्पताल के सामान्य वार्ड से लेकर आईसीयू व इमरजेंसी वार्डों में मरीजों से मिलने आने वाले परिजनों की भीड़ परेशानी का कारण बन रही है। एक मरीज के पास चार अटेंडर होने के कारण वार्डों में अनावश्यक भीड़ जमा रहती हैं।
इससे सफाई व अन्य व्यवस्थाएं तो प्रभावित होती ही हैं बल्कि गंभीर मरीजों को भी परेशान होना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन ने कुछ समय पहले मरीजों के पास एक ही अटेंडर के रहने का नियम लागू किया था, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।
आईसीयू व इमरजेंसी वार्डों में भर्ती मरीजों के उपचार के दौरान मरीजों के पलंग पर 4-4 अटेंडर की उपस्थिति को लेकर कोई भी आपत्ति नहीं लेता। इसका खामियाजा सीधे-साधे ऐसे मरीज व परिजन को भुगतना पड़ रहा है जो सिर्फ अस्पताल में 1 अटेंडर लेकर आते हैं। कलेक्टर डॉ. संजय गोयल के आकस्मिक निरीक्षण के बाद जिला अस्पताल में पार्किंग, साफ-सफाई, मेंटेनेंस व अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है, लेकिन वार्डों में मरीजों के साथ अटेंडरों की भीड़ को कम करने का ध्यान किसी जिम्मेदार का नहीं है। पूर्व में अस्पताल में गेट पास का नियम लागू किया गया था जो कि कुछ दिन ही चल पाया। मेडिकल, सर्जिकल सहित बर्न एवं अन्य वार्डों में अक्सर पलंग की संख्या के अलावा जमीन पर भी गद्दा बिछाकर मरीज भर्ती कर दिए जाते हैं। ऐसे में मरीजों के साथ अस्पताल में पहुंचने वाले 4-5 लोग अस्पताल की व्यवस्थाओं में बाधक बन रहे हैं।
परेशानी है पर आपत्ति नहीं
वार्ड में अनावश्यक भीड़ के चलते चिकित्सकों और स्टाफ नर्स को मरीजों का उपचार करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। भीड़ की वजह से साफ-सफाई व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है। इन सभी बिंदुओं के बावजूद अस्पताल प्रशासन वार्डों में अटेंडरों की कमी को लेकर थोड़ा संजीदा नहीं है।
असामाजिक तत्व भी सक्रिय
अस्पताल परिसर में आए दिन असामाजिक तत्वों द्वारा मरीज व परिजनों के साथ अभद्रता सहित मारपीट आदि की घटनाएं सामने आती हैं। अस्पताल में प्रवेश के लिए गेट पास का नियम शुरू कर दिया जाए तो असामाजिक तत्वों की आवाजाही पर नकेल कसी जा सकती है।
सिर्फ नाम का आईसीयू वार्ड
जिला अस्पताल का आईसीयू वार्ड सिर्फ नाम का है, यहां पर भी अन्य वार्डों की तरह जहां मरीज के बिस्तर पर 3-4 अटेंडर बैठे रहते हैं, वहीं रविवार को वार्ड में एसी बंद होने से मरीजों को पंखे का सहारे उपचार लेना पड़ा। रविवार को अन्य दिनों की तुलना में सूरज के तीखे तेवर होने से मरीजों के परिजन पंखा करने के अलावा टॉवेल तथा रूमाल से हवा करते नजर आए। सूत्रों के अनुसार आईसीयू वार्ड के एयर कंडीशनर आए दिन खराब पड़े रहते हैं। इन्हें सुधारने में किसी की रुचि नहीं है। -निप्र
गेट पास व्यवस्था शुरू करेंगे
मेरे द्वारा अलग-अलग वार्डों में मरीजों के उपचार के दौरान ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्सों को निर्देशित किया जाता है कि वह अपने वार्ड में एक मरीज के साथ सिर्फ एक अटेंडर को ही रहने दे, इसके बाद भी अगर व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है तो जल्द ही गेट पास की व्यवस्था शुरू की जाएगी।
-डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, रतलाम
अस्पताल में नलों के कंठ सूखे
जिला अस्पताल में पानी की टंकियां खाली होने से वाटर कूलर सहित नलों के कंठ सूखे हुए हैं। नतीजतन मरीज व परिजन को परिसर कैंटिन व बाहर की दुकानों से पानी खरीदना पड़ रहा है। इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है।
रविवार को जिला अस्पताल में मरीजों के परिजन पानी के लिए परेशान होते नजर आए। अस्पताल में सामाजिक संस्था की ओर से लगवाए गए पुलिस चौकी के समीप वाटर कूलर में पानी नहीं है तो हड्डी वार्ड के निकट रखा वाटर कूलर लंबे समय से धूल खा रहा है।
भीषण गर्मी में अस्पताल प्रशासन की इस बेरूखी के चलते मरीज व परिजनों के लिए पीने का पानी का इंतजाम करना परेशानी भरा हो गया है। सूत्रों के अनुसार अस्पताल में पीने के पानी कमी के पीछे पानी बेचने वालों की मिलीभगत भी दिखाई देती है। हालांकि सामाजिक संगठनों द्वारा पानी की पूर्ति करने की कोशिश की जा रही है लेकिन रात में मरीजों को पैसे देकर ही पानी खरीदना पड़ता है।
ली जाएगी जानकारी
अस्पताल परिसर में रखे वाटर कूलर सहित टंकियों में पानी क्यों नहीं भरवाया गया, इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। टंकियों में समय पर पानी नहीं भरने वालों की अगर अनियमितता मिलती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, रतलाम