नरेंद्र जोशी, नईदुनिया, रतलाम : आदिवासी अंचल के लोगों को वर्षों तक यह दर्द सालता रहा कि उनका क्षेत्र पिछड़ेपन और सुविधाओं की कमी से उबर नहीं पा रहा है। बेहतर शिक्षा तो दूर यहां सामान्य स्कूली शिक्षा और आवागमन के सामान्य साधन तक मुहैया नहीं होते थे। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। इन क्षेत्रों में बीते दस वर्षों में न सिर्फ अधोसंरचनात्मक कार्य हुए हैं बल्कि विद्यार्थियों से लेकर युवाओं में भी नया आत्मविश्वास नजर आता है।
इन गांवो के युवा भी अब डाक्टर,इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी जैसे पदों तक पहुंच रहे हैं। यह दृश्य हमें देखने को मिला 2024 के लोकसभा चुनाव के कवरेज के दौरान रतलाम लोकसभा सीट की सैलाना विधानसभा के बाजना व सैलाना विकासखंड में।
जिले के बाजना विकासखंड निवासी आकाश वसूनिया ने हाल ही में मप्र लोक सेवा आयोग परीक्षा में सफलता प्राप्त कर नायब तहसीलदार पद के लिए पात्रता हासिल की है। बाजना के दौलतपुरा गांव निवासी आकाश के पिता सोहनलाल बाजना के तहसील कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ ही वे अपने गांव के बच्चों को भी उच्च अध्यन के लिए लगातार प्रेरित करते हैं।
अकेले सैलाना में ही पांच ऐसे शिक्षालय हैं, जिन पर गर्व किया जा सकता है। इनमें से चार का संचालन आदिवासी विकास विभाग व एक का शिक्षा विभाग के पास है। सैलाना बाइपास मार्ग स्थित कन्या शिक्षा परिसर में छठी से 12वीं तक अनुसूचित जनजाति की छात्राएं अध्ययन करती है। यहां प्रत्येक क्लास में 70 सीटें हैं। इनमें लिखित परीक्षा के द्वारा छात्राएं प्रवेश पाती हैं। कक्षा 12वीं में अध्ययनरत विज्ञान संकाय की छात्रा सूरज पिता राजेंद्र निनामा निवासी सरवन डाक्टर बनना चाहती हैं। वो कहती हैं- पहले हमें रास्ता नहीं पता था लेकिन ये मालूम है कि हमें करना क्या है।
शासकीय सीएम राइज उत्कृष्ट विद्यालय सैलाना से प्रथम श्रेणी में जीव विज्ञान संकाय से उत्तीर्ण होने के बाद इस वर्ष नीट परीक्षा में अनुसूचित जनजाति वर्ग से क्वालिफाई हुए रोहन खराड़ी कहते हैं कि सैलाना क्षेत्र ग्रामीण परिवेश में होने के बावजूद अब शिक्षा का हब है। हमारा विद्यालय किसी शहर के बड़े निजी स्कूल से किसी भी मामले में कमतर नहीं है।
शिक्षाविद व उत्कृष्ट विद्यालय के पूर्व प्राचार्य अरविंद पुरोहित कहते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के माध्यम से सकारात्मक बदलाव नजर आने लगा है। केंद्र व राज्य सरकार ने यहां भौतिक संसाधनों पर बहुत व्यय किया गया है। शैक्षणिक प्रबंधन पर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत है।
विद्यालय प्रबंधन का दायित्व है कि वह अध्यापन के पश्चात विद्यार्थियों की ग्राह्यता (सीखने के स्तर के स्तर) का सतत मूल्यांकन कर फीडबैक लेकर वांछित स्तर प्राप्त करें। जहां-जहां इस तरह की व्यवस्था है वहां विद्यार्थी आगे बढ़ रहे हैं और पूरे क्षेत्र की तस्वीर भी बदल रहे हैं।