
नईदुनिया प्रतिनिधि,रीवा: अफसरों की थोड़ी सी लापरवाही कभी भी बड़ी और विध्वंसकारी घटना का कारण बन सकती है। यह बात सुनने में भले ही अतिशयोक्ति लगे, लेकिन डभौरा में सामने आया मामला इसकी सच्चाई को उजागर करता है। विस्फोटक सामग्री प्राप्त करने के लिए जहां लाइसेंसधारी लोगों को जटिल और लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, वहीं यही खतरनाक सामग्री आम लोगों के हाथों में बेहद आसानी से पहुंच रही है।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित डभौरा में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ने एक बार फिर प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गत शनिवार को डभौरा पुलिस ने रेलवे स्टेशन के सामने कार्रवाई करते हुए एक महिला और एक पुरुष को गिरफ्तार किया। उनके पास से 394 नाग डेटोनेटर ट्यूब और बारूद से बनी रस्सी बरामद की गई। दोनों के खिलाफ विस्फोटक पदार्थों के अवैध परिवहन का मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है।
पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि आरोपियों ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उन्होंने यह विस्फोटक उत्तर प्रदेश के मानिकपुर से सटे मझगवा गांव के सुनील नामक व्यक्ति से खरीदा था। उन्होंने बताया कि इस सामग्री का उपयोग वे मछली के शिकार और अवैध माइनिंग गतिविधियों में करते हैं। विस्फोटक को परिवहन करने के लिए उन्होंने जनता एक्सप्रेस ट्रेन का इस्तेमाल किया, जिससे रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
डभौरा थाना प्रभारी ऋषभ सिंह बघेल के अनुसार, इस तस्करी की सूचना पहले ही एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान को मिली थी। इसके बाद पुलिस ने रणनीति बनाकर जाल बिछाया। जैसे ही आरोपी जनता एक्सप्रेस से उतरकर बाजार क्षेत्र की ओर बढ़े, पुलिस ने उन्हें घेराबंदी कर पकड़ लिया। तलाशी के दौरान उनके दो थैलों से विस्फोटक सामग्री बरामद हुई। आरोपियों की पहचान विनोद मांझी (35 वर्ष), निवासी लखवार थाना सोहागी और पूजा मांझी (30 वर्ष), निवासी छदेनी थाना जवा के रूप में हुई है। दोनों आपस में रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।
जानकारों के अनुसार, बरामद विस्फोटक भले ही कीमत में सस्ते हों, लेकिन इन्हें हाई रिस्क विस्फोटक की श्रेणी में रखा जाता है। खदान संचालक सुनील सिंह पटेल बताते हैं कि एक डेटोनेटर ट्यूब की कीमत लगभग 12 रुपये, डेटोनेटर 1 रुपये प्रति नग और बारूद की रस्सी 15 रुपये प्रति मीटर के हिसाब से मिलती है। हालांकि, इन्हें खरीदने के लिए खनिज विभाग से खदान की लीज, ब्लास्टिंग फर्म का रजिस्ट्रेशन और एडीएम कोर्ट से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि यह कार्रवाई साबित करती है कि खतरनाक विस्फोटक आम लोगों की पहुंच में हैं। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। उन्होंने कहा कि ट्रेन से इस तरह का विस्फोटक ले जाना बेहद खतरनाक था, और यदि कोई हादसा होता, तो पूरी ट्रेन इसकी चपेट में आ सकती थी।
वहीं, बैंड रोटी दस्त में तैनात ASI सदानंद पांडे ने बताया कि जब्त किए गए डेटोनेटर, ट्यूब और रस्सी को अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षित कमरे में रखा गया है। इसके लिए हाई सिक्योरिटी सेल का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कीमत भले कम हो, लेकिन यह विस्फोटक अत्यंत जोखिमपूर्ण हैं।
आरोपितों के बयान के आधार पर विस्फोटक बेचने वाले की तलाश की जा रही है। पता लगाया जा रहा है कि उसके पास यह सामग्री कैसे पहुंची। मामले में जो भी दोषी होगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
- शैलेंद्र सिंह पुलिस अधीक्षक, रीवा।