नईदुनिया प्रतिनिधि, रीवा। रीवा जिले में फर्जी तरीके से अनुकंपा नियुक्ति की खबर मंगलवार को नईदुनिया में प्रकाशित होने के बाद शिक्षा विभाग ने उनके नियुक्ति आदेश को निरस्त कर दिया है। पांच युवकों ने दूसरों के माता-पिता को अपना बताकर यह नियुक्तियां पाई थीं, जिन पर मंगलवार को यह कार्रवाई हुई है। एक मामले में पिछले माह ही कार्रवाई हो चुकी है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भृत्य पद पर अनुकंपा नियुक्ति का मामला सामने आने पर 14 मार्च से 31 मई तक की 36 अनुकंपा नियुक्तियों की जांच कराई गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता ने बताया कि तीन सदस्यीय समिति के जांच प्रतिवेदन में अनुकंपा नियुक्ति के पांच मामले फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के पाए गए थे। इनके प्रकरण में दर्ज अभिलेखों का सत्यापन कराए जाने पर अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त पांच भृत्यों को अलग-अलग आदेश जारी कर नियुक्ति आदेश को निरस्त किया गया है।
अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण में प्राचार्य की अनुशंसा, मृतक कर्मचारी की कर्मचारी यूनिक आइडी व मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज फर्जी और कूटरचित पाए गए। इसके कारण डीईओ ने अपना ही नियुक्ति आदेश निरस्त किया है। इन मामलों में अनुकंपा नियुक्ति शाखा प्रभारी राम प्रसन्न धर द्विवेदी की भूमिका संदिग्ध है, जिस पर मामला पंजीबद्ध कराया गया है।
विकासखंड गंगेव के जमोड़ी शासकीय प्राथमिक स्कूल में पदस्थ भृत्य बृजेश कोल की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हुई थी। जांच में पता चला कि बृजेश ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर अपनी मां बेलाकली कोल को सहायक शिक्षक पद पर पदस्थ बताते हुए उनकी मौत 16 मई 2023 को होना बताया था। जांच में पता चला कि बेलाकली जीवित है और मजदूरी करती है।
रायपुर कर्चुलियान में फर्जी नियुक्ति का एक और मामला सामने आया है, जिसकी शिकायत संभागायुक्त से की गई है। आरोप है कि रत्नेश्वर प्रसाद द्विवेदी को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति दी गई है, जबकि परिवार का कोई भी सदस्य शासकीय सेवा में नहीं है। संभागायुक्त वीएस जामोद ने अब तीन साल की अनुकंपा नियुक्तियों के जांच के आदेश दिए हैं।