रीवा राजनिवास गैंगरेप कांड में फैसला, महंत सीताराम सहित 5 को अंतिम सांस तक कैद की सजा
पांच दिनों तक चली लंबी बहस के बाद अदालत ने यह कठोर फैसला सुनाया।राजनिवास जैसे सरकारी परिसर में एक तथाकथित धर्मगुरु द्वारा किए गए इस कृत्य से पूरा जिला ...और पढ़ें
Publish Date: Tue, 23 Dec 2025 08:10:34 PM (IST)Updated Date: Tue, 23 Dec 2025 08:18:02 PM (IST)
रीवा के गैंगरेप मामले में कोर्ट ने दिया फैसला।HighLights
- विनोद पांडे ने पीड़िता को काम का झांसा देकर सर्किट हाउस बुलाया
- नशीली शराब पिलाकर सीताराम और साथियों ने उससे गैंगरेप किया
- पीड़िता किसी तरह चलती कार से कूदकर अपनी जान बचाकर भागी
नईदुनिया प्रतिनिधि,रीवा। रीवा के बहुचर्चित राजनिवास गैंगरेप कांड में न्यायालय ने आज एक कड़ा संदेश देते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) पद्मा जाटव की अदालत ने मुख्य आरोपी महंत सीताराम उर्फ विनोद पांडे सहित पांच दोषियों को उनके शेष प्राकृतिक जीवन (अंतिम सांस तक) के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, दोषियों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। घटना 28 मार्च 2022 की है, जब रीवा के सर्किट हाउस (राजनिवास) के कमरा नंबर 4 में एक नाबालिग किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।
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- रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी विनोद पांडे ने पीड़िता को किसी काम का झांसा देकर सर्किट हाउस बुलाया था।
- वहाँ उसे नशीली शराब पिलाई गई और फिर महंत सीताराम और अन्य साथियों ने उसके साथ गैंगरेप किया।
- पीड़िता किसी तरह चलती कार से कूदकर अपनी जान बचाकर भागी और बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। न्यायालय ने इस मामले में कुल 9 आरोपियों में से 5 को दोषी पाया है।
- जिन्हें सजा हुई हैं उनमें महंत सीताराम ,विनोद पांडे,धीरेंद्र मिश्रा,अंशुल मिश्रा,मोनू पयासी शामिल है। साक्ष्यों के अभाव में 4 अन्य आरोपियो संजय त्रिपाठी, रवि शंकर शुक्ला, जानवी दुबे और तौसीद अंसारी को दोषमुक्त (बरी) कर दिया गया है।
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सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले को साबित करना काफी चुनौतीपूर्ण था। पुलिस ने डीएनए रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और सीडीआर जैसे तकनीकी साक्ष्यों को अदालत के सामने पेश किया।अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 22 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए और 140 दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए । पांच दिनों तक चली लंबी बहस के बाद अदालत ने यह कठोर फैसला सुनाया।राजनिवास जैसे सरकारी परिसर में एक तथाकथित धर्मगुरु द्वारा किए गए इस कृत्य से पूरा जिला स्तब्ध था। इस फैसले ने समाज में यह विश्वास जगाया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। सभी दोषियों को न्यायालय से सीधे जेल भेज दिया गया है।