रीवा। शादी के 17 वर्ष बाद शिवदास की जिंदगी में ऐसा मोड़ आया जिसकी उसने कल्पना भी न की थी। बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर शादी के बंधन में बंधे शिवदास की डिग्री का न केवल पत्नी उपहास उड़ाएगी बल्कि उसे अलगाव भी कर लेगी उसने सोचा न था।
शर्त ऐसी की जिसे पूरा कर पाना शिवदास के बस का न था। तीन महीने तक परिवार परामर्श केन्द्र के सामने शिवदास अपनी पत्नी शशि से मिन्नतें करता रहा। परिवार टूटने की दुहाई देता रहा और 12 वर्षीय बेटे की बात कहकर भविष्य पर गलत प्रभाव पड़ने की बात भी शिवदास ने कही। लेकिन पत्नी थी कि मानने को तैयार नहीं।
आखिरकार परिवार परामर्श केन्द्र में चले तीन महीने की समझाइश के बाद दोनों पक्ष को अलग कर दिया गया। अलगाव मिलते ही शिवदास के आंखों में आंसू आ गए। बेटे को खुद से दूर जाने का गम उनके आंसू बयां कर रहे थे। जाते समय शिवदास ने कहा कि अब पत्नी ने तो साथ छोड़ दिया इसलिए अब मैं वैराग्य धारण कर भगवान की सेवा करुंगा।
समझाइश के दौरान देती रही ताना
शिवदास की पत्नी शशि द्विवेदी पेशे से उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में नर्स है। वह समझाइश के दौरान बार-बार शिवदास की डिग्री बीकॉम का उपहास करते हुए उन्हें बेकाम बताया। इतना ही नहीं उसने तो यहां तक कह दिया कि इनसे केवल भजन और कीर्तन ही बनता है। जिससे परिवार चलना मुश्किल है। उसने साफतौर पर कहा कि बेटा भले ही इनका हो, लेकिन मैं बेटे पर शिवदास की छाया नहीं पड़ने दूंगी।
क्या था मामला
शिवदास द्विवेदी बैकुंठपुर थाने के डेल्ही गांव का है। उसका विवाह सन् 2000 में चित्रकूट निवासी अमित मिश्रा की पुत्री शशि से हुआ था। शादी के 5 साल बाद शिवदास को पुत्र रत्न की प्राप्ति भी हुई। इस दौरान शशि को बीएससी नर्सिंग का कोर्स शिवदास ने ही कराया। कोर्स पूरा होते ही शशि को स्वास्थ्य विभाग में नर्स की नौकरी मिल गई।
नौकरी मिलते ही शशि के हाव-भाव बदलने लगे। ससुराल न आना, शिवदास को चित्रकूट पहुंचने पर तत्काल घ्र भेज देना, ताने मारना व बेटे से पिता को दूर करने जैसी बातें होने लगी। जब शिवदास बेटे के प्रति अपना लगाव व दावेदारी की बात की तो मामला महिला थाना पहुंच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले को परिवार परामर्श केन्द्र भेजा गया।
शशि ने नहीं किया सहयोग
पूरे प्रकरण में समझाइश दे रहे महिला काउंसलर द्वय सलमा खान व राखी खरे ने बताया कि समझाइश की बात शिवदास स्वीकार कर रहा था। लेकिन शशि ने किसी प्रकार का सहयोग भी न किया। जिससे अंतिम में दोनों की सहमति पर अलगाव कर दिया गया है।
इनका कहना है
शिवदास व शशि का मामला अटपटा है। पति ने मेहनत कर पत्नी को सरकारी नौकरी दिलाई। अब पत्नी साथ में रहना ही नहीं चाहती। समझाइश का भी कोई विशेष अंतर नहीं पड़ा। दोनों ने स्वेच्छा से अलगाव ले लिया है। चूंकि बच्चे की उम्र कम है लिहाजा बच्चा 18 वर्ष की उम्र तक मां के पास ही रहेगा।
-राखी खरे, काउंसलर, परिवार परामर्श केन्द्र।