नवदुनिया प्रतिनिधि, सागर। मुख्यमंत्री द्वारा जैसीनगर का नाम बदलकर जयशिवनगर करने की घोषणा के बाद नेताओं की लडाई राजनीतिक मंच से अब सड़क पर आ गई है। क्षत्रीय महासभा द्वारा नाम बदलने के विरोध में ज्ञापन सौंपने के बाद मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने दशहरा कार्यक्रम के दौरान नाम लिए बगैर भाजपा में ही अपने विरोधियों को जमकर खरी खोटी सुनाई। मंत्री द्वारा मंच से दिए गए भाषण का यह अंश शुक्रवार को इंटरनेट मीडिया और राजनीतिक गलियारों में दिनभर चर्चा का विषय रहा। नाम लिए बगैर अपनी ही पार्टी के राजनीतिक दुश्मनों पर मंत्री ने जमकर शब्द बाण चलाए।
मंत्री राजपूत ने जैसीनगर में आयोजित दशहरा कार्यकम के दौरान कहा कि मुख्यमत्री ने जैसीनगर का नाम बदलने का अभी प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा और दूसरों के पेट में चूहे काटने लगे। नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने भतीजों और चार पांच कांग्रेसियों को ज्ञापन देने के लिए भेज दिया। राजा जयसिंह के नाम पर बसे जैसीनगर को अब जयशिवनगर किया जा रहा है। इसमें सभी की भावनाओं का ख्याल रखा जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जब 500 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं तो फिर राजा जयसिंह की प्रतिमा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने जैसीनगर में राजा जय सिंह की आकर्षक आदमकद प्रतिमा को स्थापित किए जाने की घोषणा की।
उन्होंने अपने पूर्व मंत्री का नाम लिए बगैर कहा कि जो यहां 10 साल तक कभी विधायक रहे, उनके नाम की पट्टी एक टूटी पुलिया तक में नहीं है। जिन्होंने यहां विकास नहीं कराया, वह जैसीनगर और सुरखी क्षेत्र के शुभचिंतक बनने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्री ने पूर्व मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग अपना घर और क्षेत्र देखें जैसीनगर में पत्थर मत फेंके। उन्होंने कहा राजा जयसिंह किसी एक समाज के नहीं बल्कि वह हम सब के राजा थे।
क्षेत्रीय महासभा के साथ गुरुवार को जैसीनगर में ज्ञापन सौंपने आए सागर के पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह ने कहा था कि सत्ता के नशे में कुछ नेता विरासत को नष्ट करने पर तुले हैं। जो लोग अपनी विरासत की रक्षा नहीं कर पाते, वे एक दिन स्वयं नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं और हिंदू धर्म में अपेक्षा की जाती है कि हम सभी की रक्षा करें। वर्तमान में क्षेत्र का नेतृत्व क्षत्रिय कर रहे हैं। जैसीनगर के नाम बदलने से क्या मिल जाएगा।