
सागर(नवदुनिया प्रतिनिधि)। गौराबाई दिगंबर जैन मंदिर कटरा में शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए जनसंत विरंजन सागर ने कहा कि जीवन मे जैसे डाक्टर, इंजीनियर, वकील आदि बनने के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है उसी तरह भगवान बनने के लिए भी परिश्रम की आवश्यकता होती है। भगवान कोई व्यक्ति इंसान नहीं है। भगवान एक शाश्वत परम् अदृश्य ऊर्जा है जो हर व्यक्ति के अंदर मौजूद है। हर व्यक्ति भगवान के बताए रास्ते पर चलकर भगवान बनने की ताकत रखता है और जो भगवान के बताए मार्ग पर चलकर उसका अनुशरण करे वही तो भगवान है।
उन्होंने कहा कि धर्म का पालन जबरजस्ती से नहीं बल्कि जबरजस्त तरीके से करें। प्रेशर या दबाव में कोई भी कार्य सफल नहीं होता न उसका फल प्राप्त होता है। पर मन से किए गए कार्य और भाव से की गई अल्प क्रिया भी बड़ा फल प्रदान करती है। अतः जीवन मे जो कुछ भी करें अच्छे मन और सकारात्मक भाव से करें। आप बस कर्म करिए फल की चिंता न करिए। अगर आपका कार्य सच्चा है तो यकीन करें परमात्मा आपको अच्छा फल जरूर देगा। उन्होंने कहा जीवन मे आत्मविश्वास और एकाग्रता होना भी बहुत जरूरी है। जब हमें विश्वास ही नहीं होगा तो कार्य सफल कैसे होगा।
छुल्लक विसौम्य सागर ने उपदेश देते हुए कहा कि जीवन में धर्म कर्म और मर्म तीनों का विशेष महत्व है। धर्म वस्तु का स्वभाव है जो हमें सदैव सदराह दिखाता है और कर्म हमेशा यह तय करते हैं कि हमारे आगे के परिणाम क्या होंगे। उन्होंने कहा जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मृत देह में जले हुए कंडे, डंडे और आग लगाई जाती है, लेकिन जिन्होंने रत्नत्रय को प्राप्त कर लिया हो दुनिया उनके चरणों मे श्रीफल अर्पित करती व उनके मृत शरीर की भी पूजा होकर वे हमेशा के लिए पूज्य हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन मे यदि हम कुछ गलत लिखते हैं तो इसने दोष पेन का नहीं विचारों का होता है। इसी प्रकार हम कुछ गलत करते हैं तो यह शरीर की गलती नहीं बल्कि आत्मा की है। इसलिए आत्मा के स्वभाव को बदलने की कोशिश कीजिए। इंसान अपनी दृष्टि बदल लें तो यह सृष्टि स्वतः बदल जाएगी। आज की सभा मे देवेंद्र जैन, तरुण कोयला आदि मौजुद रहे। संचालन अभय बरायठा ने किया। यह जानकारी कवि अखिल जैन ने दी।