नईदुनिया प्रतिनिधि, सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में सरकारी अनुदान पर संचालित घरौंदा आश्रम (बाल आश्रम) में शारीरिक और मानसिक दिव्यांग बच्चों के शोषण और उनसे भिक्षावृत्ति कराने का मामला सामने आया है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में पता चला कि आश्रम के संचालक बच्चों-वृद्धों से न सिर्फ भिक्षावृत्ति कराते रहे, बल्कि किसी बच्चे का निधन होने पर बिना प्रशासनिक अनुमति के देहदान भी कर देते थे।
आयोग ने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर के सुर्पद कर दिया है। इस आश्रम का संचालन गैर सरकारी संगठन करता है। आश्रम पर मानव तस्करी में भी शामिल होने की आशंका जताई गई है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह द्वारा कलेक्टर को भेजे प्रतिवेदन में कहा गया है कि बच्चों के लिए बने आश्रम में अन्य निराश्रित भी रहते पाए गए हैं। यहां निवासरत बच्चों और बुजुर्गों से भीख मंगवाई जाती है।
ये लोग नगर के मंदिरों और भीड़ वाले स्थानों पर जाकर भीख मांगते हैं। उनके पास घरौंदा आश्रम का एक बैनर भी होता है। एक बाक्स होता है जिसमें भीख में मिली राशि एकत्रित की जाती है। आयोग ने इसे किशोर न्याय (बालकों की देखरेख) अधिनियम का खुला उल्लंघन बताया है। आयोग ने इसके लिए घरौंदा आश्रम के खिलाफ एफआइआर कराने की सिफारिश की है।
आयोग के प्रतिवेदन में बताया गया कि निरीक्षण के दौरान ही आश्रम में 18 वर्ष से अधिक आयु की दिव्यांग लड़की व एक पुरुष फर्श पर पोछा लगाते पाए गए। सामने आया कि आश्रम में उन्हीं से बर्तन धोने, पानी भरने और रसोई का काम भी कराया जाता है। यह बाल मजदूरी के दायरे में आता है।
आयोग ने अपने प्रतिवेदन में बताया है कि घरौंदा आश्रम में इंदौर और बैतूल जिलों की कुछ संस्थाओं से बालक-बालिकाएं भेजे गए हैं। उनको न तो संबंधित जिलों की बाल कल्याण समिति ने भेजा और न सागर की जिला बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी गई। घरौंदा ने भी आठ बालिकाओं को बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति लिए करुणा आश्रम खजुरिया भेज दिया। उसके बाद उन बालिकाओं का क्या हुआ उसकी जानकारी किसी को नहीं है। आयोग ने इसमें मानव तस्करी की आशंका जताते हुए जांच की सिफारिश की है।
'घरौंदा आश्रम में रहने वाले बच्चों और दिव्यांगों से भिक्षावृत्ति, आश्रम में काम कराने, देहदान के नियमों का पालन न करने सहित कई अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच प्रतिवेदन भेजकर कलेक्टर को कार्यवाही के लिए कहा गया है।'
- ओंकार सिंह, सदस्य, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग।