सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)।
लाखा बंजारा झील के आसपास वाले क्षेत्रों में इन दिनों मेंढकों का आतंक है। इन इलाकों में छोटे-छोटे मेंढक घरों के अंदर तक घुस रहे हैं। हालात इतने विकट हैं कि लोगों का खाना-पीना तक हराम हो गया है। छोटे-छोटे मेंढक दर्जनों की तादाद में किचन, बेडरूम और बाथरुम तक घुस रहे हैं। जानकारी के मुताबिक स्मार्ट सिटी द्वारा तालाब के सुंदरीकरण का काम कराया जा रहा है। झील के चारों तरफ घाटों का निर्माण हो रहा है। तालाब की डीसिल्टिंग की गई है। तालाब के चारों तरफ रिंगरोड की तर्ज पर पाथ-वे बनाया जा रहा है। इस सबके बीच बीते 10 दिन में तालाब किनारे के इलाकों में रहवासियों का जीना दूभर हो गया। पहली दफा इन इलाकों में लाखों की तादाद में छोटे-छोटे मेंढकों का आतंक फैल गया। तालाब किनारे गऊ घाट, किले के पीछे का इलाका, चकराघाट, बरियाघाट, बाल भोलेघाट, भटटो घाट, गणेश घाट, गंगा मंदिर से लेकर रानीपुरा तक इलाके में तालाब किनारे कच्चे पाथ-पे के किनारे बने मकानों में मेंढक ही मेंढक हो रहे हैं। बच्चे तो डर के कारण बाहर ही नहीं निकल रहे, मेंढकों की संख्या इस कदर है कि चलने में ये पैर के नीचे आकर कुचल जाते हैं।
प्रजनन काल चल रहा, तालाब से डायवर्ट हो रहे
तालाब किनारे बारिश शुरू होते ही मेंढक लाखों की तादाद में कहां से आ जाते हैं, इसको लेकर जानकारी और इलाके के बुजुर्ग बताते हैं कि गर्मी की समाप्ति और बरसात का शुरूआती महीना मेंढकों का प्रजनन काल होता है। वर्तमान में तालाब खाली किया गया। बडी-बडी मशीनें यहां काम कर रही हैं, इसलिए बीते सालों में मेंढक तालाब से बाहर आकर आसपास के नाली-नाले, पाइप, सीवर की खाली पडी लाइन, टैंक आदि नमी की जगह में ब्रीडिंग कर रहे हैं, वर्षा होते ही इनका प्रजनन तेजी से होने लगा और तालाब के अंदर काम चलने के कारण इन्होंने किनारों की तरफ का रुख कर लिया।
कीटनाशक, केरोसिन और झाडू से हटा रहे
मेंढकों के आतंक और हमलों से परेशान लोग अब इनको मारने का जतन कर रहे हैं। सैकडों की संख्या में घरों में घुस रहे मेंढको को झाडू हटाकर हटा रहे हैं, तो कोई कीटनाशक दवाओं, नमक और गर्म पानी से लेकर केरोसिन डालकर इनको घरों में घुसने से रोक रहे हैं।