सागर। प्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में एक बार फिर वैद्य विशारद और साहित्य रत्न डिग्री धारकों के रजिस्ट्रेशन व क्लीनिक के पंजीयन को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। शासन के निर्देश के बाद सीएमएचओ स्तर से ऐसे सभी डिग्रीधारियों की सूची सहित दस्तावेजों की फाइल संचालनालय को भेजी गई है। फिलहाल स्वास्थ्य संचालनालय ने आयुष विभाग के संचालक से इस मामले में मार्गदर्शन मांगा है। उल्लेखनीय है कि साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्रदेश भर में बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस करने वाले ऐसे डिग्री धारियों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश दिया था।
सीएमएचओ डॉ. दिनेश कौशल ने करीब 20 दिन पहले जिले में साल 2012 के पहले रजिस्टर्ड हुए 200 से अधिक साहित्य रत्न और वैद्य विशारद की डिग्री धारकों की सूची सहित लंबी-चौड़ी फाइल स्वास्थ्य संचालक डॉ. केके ठस्सू को भेजी है। शासन ने इस संबंध में जिला स्वास्थ्य प्रशासन से तमाम जानकारी भेजने को कहा था। यह प्रक्रिया ऐसे डिग्रीधारी के रजिस्ट्रेशन व क्लीनिकों के रजिस्ट्रेशन पर लगे बैन को हटाने की मांग के चलते शुरू की गई है। स्वास्थ्य प्रशासन ने मप्र आयुर्वेद संचालक भोपाल को जानकारी भेजकर अभिमत मांगा है। हालांकि इनके रजिस्ट्रेशन और क्लीनिक प्रैक्टिस पर लगा बैन हटना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने डिग्री अवैध घोषित कर दी थी
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सितंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश देकर हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग इलाहाबाद की संस्था द्वारा दी जाने वाली आयुर्वेद रत्न, साहित्य रत्न और वैद्य विशारद की डिग्री को अमान्य करते हुए अवैध घोषित कर दिया था। दरअसल संस्थान ने 1967 के बाद एक्रीडिशन नहीं कराया था, जबकि 1989 तक लगातार डिग्री बांटी जाती रही। सागर में भी इस संस्थान का परीक्षा सेंटर हुआ करता था। उस समय संस्थान द्वारा दी जाने वाली डिग्री बीएएमएस के समकक्ष मानी जाती थी।
विधानसभा में गूंजा था मामला
यह मामला पूर्व में मप्र विधानसभा में भी पहुंच चुका है। हाईकोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई थी। इस पर सुनवाई चल रही है। इधर 30 मार्च को विधानसभा में सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा से भी 1967-68 के पूर्व के ऐसे वैद्य विशारद व साहित्य रत्न को निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति और क्लीनिक के रजिस्ट्रेशन कराने की बात कही थी। इसके बाद ही यह प्रक्रिया नए सिरे से प्रारंभ कर दी गई है।
आयुर्वेदिक काउंसिल करती थी रजिस्ट्रेशन
जानकारी अनुसार प्रयाग इलाहाबाद से साहित्य रत्न और वैद्य विशारद की उपाधि लेने वाले लोगों के बतौर डॉक्टर मप्र आयुर्वेदिक काउंसिल में रजिस्ट्रेशन किए जाते थे। इसे एलोपैथी, यूनानी, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी के समान ही निजी प्रैक्टिस की पात्रता दी जाती थी। लेकिन संस्था की मान्यता सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1967-68 के दशक से समाप्त करने के आदेश के बाद 1989 तक की डिग्रियां को अमान्य कर दिया था। इस साल के बाद संस्था की परीक्षाएं आयोजित होना बंद हो गई। इसके पूर्व यूपी की हाईकोर्ट ने इसी मामले में इन डिग्रियों को विलोपित करने का आदेश दिया था।
सागर जिले में 151 रत्न और वैद्य!
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सागर जिले में पूरे 151 वैद्य विशारद और आयुर्वेद रत्न मौजूद हैं। इनमें से अधिकांश डिग्रीधारी बतौर डॉक्टर अभी भी निजी क्लीनिक खोलकर प्रैक्टिस कर रहे हैं। अमूमन हर दूसरा डिग्रीधारी एलोपैथी अर्थात अंग्रेजी दवाइयों की प्रैक्टिस कर रहा है। मरीजों को धड़ल्ले से अंग्रेजी दवाएं लिखी जा रही हैं। जब कभी कार्रवाई की बात सामने आई तो विभाग भी अपने कदम पीछे खींचता रहा है।
शासन को फाइल भेज दी है
शासन स्तर से इस मामले में जानकारी मांगी गई थी। मामले में जिले में साल 2011 से लेकर अभी तक की कार्रवाई सहित वैद्य विशारद और साहित्य रत्न व आयुर्वेद रत्न उपाधि रखने वालों के रजिस्ट्रेशन से जुड़ी तमाम जानकारी भेजी है। इसमें आयुष विभाग के डायरेक्टर से भी मार्गदर्शन मांगा गया है। जो भी कार्रवाई होनी है वह शासन स्तर से ही होगी। फिलहाल हमारे पास इस मामले में अभी कोई आदेश निर्देश नहीं आया है।
-डॉ. दिनेश कौशल, सीएमएचओ सागर
1967-68 के पूर्व की उपाधि को पात्रता दी जाए
आयुर्वेद रत्न और वैद्य विशारद की उपाधि रखने वाले ऐसे लोगों को रजिस्ट्रेशन और निजी प्रैक्टिस की अनुमति के लिए शासन से मांग की गई है जिन्होंने 1967-68 के पूर्व यह उपाधि हासिल की थी। सुप्रीम कोर्ट और यूपी हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी भी है। कोर्ट का निर्णय 197-68 के बाद की उपाधि को निरस्त करने को था। पूर्व के उपाधि धारकों को तो मान्य करना चाहिए। 13वीं विधानसभा में एक सवाल उठाया गया था। खुद सीएम ने इस पर जवाब देते हुए 1967-68 के पूर्व के उपाधिधारकों के रजिस्ट्रेशन को मान्य करने की बात कही थी।
- शैलेंद्र जैन, विधायक, सागर।