बीना । नवदुनिया न्यूज
मध्ययुगीन भारतीय इतिहास की प्रासंगिकता विषय पर गुरुवार को खिमलासा किले में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें इतिहास की छात्राओं को मध्ययुग में बनाए गए खिमलासा के किले बारे में जानकारी दी गई। इसके अलावा उस समय के रहन-सहन तथा रीति रिवाजों के बारे में बताया गया।
कार्यशाला की शुरुआत विभागाध्यक्ष प्रकाशचंद ने कार्यशाला के उद्देश्य बताकर की। इसके बाद विषय विशेषज्ञ केशव रावत ने बताया कि खिमलासा का किला मध्ययुग में बनाया गया था। यहां से स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियां संचालित होती थीं। इसके अलावा छात्राओं को किले की बारिकियों के बारे में बताया गया। उन्हें समझाया गया कि किले की रक्षा के लिए सैनिक किस तरह अपनी तैयारी करते थे। दुश्मन को अंदर आने से रोकने के लिए क्या तैयारी की जाती थी। इसी तरह केशव गुरु ने छात्राओं को किले का महत्व तथा उसके इतिहास के बारे में बताया। कार्यक्रम में शामलि हुए राम शर्मा ने बताया कि आजादी के समय यह किले स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के लिए अश्रय स्थल हुआ करते थे। उन्हें किले को वीर भूमि बताते हुए किले का सरंक्षण करने की बात की। इसके अलावा शशिनंदन रावत ने छात्राओं को किले का भ्रमण कराते हुए एक-एक चीज के बारे में बताया। डॉ. निशा जैन ने कहा कि किले में आकर छात्राओं ने जो ज्ञान अर्जित किया है वह किताबों से नहीं मिल सकता। प्रो. विनय दुबे ने खिमलासा को पर्यटन स्थल बनाने पर जोर दिया।
कविता में बताया किले का महत्व
इसी तरह डॉ. निशा जैन ने कविता के माध्यम से किले का महिमा बताई। डॉ. भावना रमैया ने कहा कि किले से संबंधित साहित्य ग्रंथालय में सुरक्षित रखा जाना चाहिए। जिससे कि आने वाली पीढ़ी को किले का महत्व पता रहे। प्राचार्य डॉ. संध्या टिकेकर, डॉ. उमा लवानिया ने अपने विचार रखे। उस अवसर पर अरुण उपाध्याय, डॉली नामदेव, प्रीति बबेले सहित इतिहास विषय की 40 छात्राएं उपस्थित थीं।
2912 एसए 157 बीना। खिमलासा किले में आयोजित हुई कार्यशाला में किले का महत्व बताते विशेषज्ञ।
- विशेषज्ञों ने छात्राओं की जिज्ञासाओं का किया समाधान