सागर(नवदुनिया प्रतिनिधि)। शहर के तिली वार्ड निवासी एक 38 वर्षीय व्यक्ति में स्क्रव टाइफस नामक बीमारी की पुष्टि हुई है। जिले में यह पहला मामला है जो उड़ने वाले पिस्सू कीड़े के काटने से होती है। सागर के निजी अस्पताल में उसका निमोनिया का इलाज चल रहा था, लेकिन जब हालात में सुधार नहीं हुआ तो उसे भोपाल रेफर कर दिया गया था। भोपाल के निजी अस्पताल में उपचार के दौरान जब उसकी जांच की गई तो उसमें स्क्रव टाइफस की पुष्टि हुई है। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने मरीज के घर के आसपास सर्वे शुरू कर दिया है।
जानकारी के अनुसार तिली वार्ड निवासी 38 वर्षीय व्यक्ति की तबीयत 6 अगस्त को अचानक बिगड़ गई थी। उसे हाथ-पैर में दर्द, बुखार और सर्दी की शिकायत हो रही थी। परिजन ने उसे तिली रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां 5 दिन इलाज कराने के बाद मरीज की हालत में मामूली सुधार आया। 11 अगस्त को मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। इसके बाद उसकी हालत फिर बिगड़ने लगी। परिजन 13 अगस्त को दोबारा अस्पताल लेकर पहुंचे। मरीज की जानकारी मिलने के बाद रविवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसके घर के आसपास सर्वे किया तो यहां के रहवासियों में इस तरह के कोई लक्षण नहीं मिले हैं।
भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती
आक्सीजन सेचुरेशन लगातार घटने के कारण डाक्टरों ने आक्सीजन लगा दी। आक्सीजन सेचुरेशन 80 फीसदी तक घट जाने पर परिजन उसे इलाज के लिए भोपाल के निजी अस्पताल ले गए। वहां जांच में 17 अगस्त को स्क्रब टाइफस पीड़ित होने की पुष्टि हुई। अस्पताल प्रबंधन ने हालत गंभीर होने के कारण हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद भोपाल में ही अन्य निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यहां अब मरीज की हालत में सुधार है।
पिस्सू के काटने से होता है स्क्रव टाइफस
बीएमसी के प्रोफेसर आशीष जैन के अनुसार स्क्रव टाइफस बीमारी ओरिएंटिया वैक्टीरिया के कारण होती है। लोगों में यह संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। यह एक वैक्टर जनित बीमारी है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा (उड़ने वाला पिस्सू) जब काटता है तो शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मामलों में मल्टी आर्गन फेल्योर से भी रोगी की मौत हो सकती है। इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके अलावा सिर, शरीर और मांसपेशियों में दर्द, लाल चकत्ते भी उभरते हैं। बीमारी बढ़ने पर काटने वाली जगह का रंग गहरा लाल या काला हो जाता है।
वर्षा में मच्छरों से बचने का प्रयास करें
लगातार हो रही वर्षा से अपने घरों के आसपास सफाई बनाए रखने की जरूरत है। आसपास वर्षा का पानी जमा न होने दें ताकि मच्छरों सहित अन्य कीड़ों की उत्पत्ती न हो सके। डाक्टरों के अनुसार इस बीमारी से बचाव के लिए कोई टीका नहीं, लेकिन समय पर डाक्सीसाइक्लिन टेबलेट का उपयोग करने से बचाव संभव है। वैसे वर्षा के दौरान बच्चों को फुल आस्तीन शर्ट और पेंट पहनाकर रखें। यह कीड़ें गाय, कुत्ते व अन्य जानवरों में होती है इसलिए इनके संपर्क में सावधानी रखें।
तिली वार्ड में निवासी व्यक्ति के स्क्रब टाइफस से पीड़ित होने की जानकारी मिली है। अभी उसकी रिपोर्ट हमारे पास नहीं आई है। प्रथम सूचना पर ही हमने मरीज के घर के आसपास सर्वे शुरू करा दिया है। मरीज भोपाल में भर्ती है। मरीज के संबंध में और जानकारी ले रहे हैं।
- डा. डीके गोस्वामी, सीएमएचओ सागर