सागर(नवदुनिया प्रतिनिधि)। शहर व रेलवे स्टेशन परिसर में दुकानें बंद करने व खोलने का कोई समय तय नहीं है। सागर रेलवे स्टेशन परिसर में अब भी रात 10 बजते ही भगदड़ जैसे हालात बनने लगते हैं। पुलिस की सीटियों व सायरन की आवाज सुनकर दुकानों की शटर गिरने लगती हैं और ग्राहक व दुकानदार भाग-भाग कर खाने-पीने की वस्तुओं को विक्रय करते हैं। हालांकि कुछ देर बाद जब पुलिस चली जाती है तो यहां कई दुकानदार शटर गिराकर या फिर लाइट बंद करके कारोबार करते रहते हैं।
दरअसल लाकडाउन के दौरान जिला प्रशासन द्वारा रात 10 बजे से दुकानें बंद किए जाने के निर्देश के बाद से सागर रेलवे स्टेशन के बाहर खुली होटलों को अब भी पुलिस की टीमें बंद कराने पहुंच रही हैं, जबकि कोरोना संक्रमण लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गया है। वहीं शहर में आलम यह है कि दुकानें 11 बजे के बाद तक खुली रहती हैं। पुलिस के इस दोहरे रवैए से स्थानीय व्यापारी परेशान हैं और वह भी देर रात तक होटल खोलने की मांग कर रहे हैं, ताकि बाहर से आने वाले यात्रियों को भोजन मिल सके।
रात्रि में आने वाले यात्री भूखे ही हो रहे रवाना
सागर रेलवे स्टेशन पर रात 11 बजे के बाद कई सवारी गाड़ियां आकर रुकती हैं, लेकिन इन ट्रेनों से आने वाले यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था नहीं रहती है। कई यात्री सागर स्टेशन से ट्रेन भी बदलते हैं, लेकिन रात्रि में उन्हें भोजन नहीं मिल पता है। कुछ लोग स्टेशन के बाहर आकर भोजन मिलने तलाश भी करते हैं, लेकिन जब यहां होटलें बंद मिलती हैं तो वह वापस ही लौट जाते हैं। इस कारण कई यात्री व उनके स्वजन चाय, बिस्किट से ही थोड़ा बहुत नाश्ता करते हैं और फिर अपने गंतव्य की ओर रवाना हो जाते हैं। कई यात्रियों को स्टेशन का भोजन भी पसंद नहीं मिल पाता है, जिस कारण वह भोजन के लिए होटल की तलाश करते हैं तो उन्हें बाहर दुकानें बंद ही मिलती हैं।
महीनों पर समाप्त हो चुके हैं सभी प्रतिबंध
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के दौरान कुछ ज्यादा असर न आने पर मप्र शासन व जिला प्रशासन द्वारा महीनों पहले सभी प्रकार के प्रतिबंध समाप्त कर दिए थे, लेकिन स्टेशन के सामने वाले दुकानदार अब भी परेशान। होटल संचालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले सिर्फ रेलवे स्टेशन परिसर में ही रात एक से दो बजे तक यात्रियों को भोजन की व्यवस्था हो जाती थी, जिस कारण शहर के अलग-अलग स्थानों में भी यदि किसी को भोजन करना हो तो वह स्टेशन आ जाता था, लेकिन अब 11 बजे रात में भी लोग भोजन के लिए परेशान होते हैं। पुलिस के खौफ से कई दुकानदार भी रात साढ़े 9 बजे से ही अपनी दुकानें बंद करने लगते हैं। विकास कुमार का कहना है कि मैं देर रात रीवा से सागर आया। यहां सोचा था कि स्टेशन पर भोजन करके घर चला जाउंगा, लेकिन रात 12 बजे स्टेशन पर कहीं भोजन नहीं मिला तो देर रात बिस्किट व नाश्ता करके ही रवाना हो गया। वहीं विजय का कहना है कि मुझे अनूपपुर जाना था, ट्रेन छूट न जाए इसलिए घर से खाना नहीं पैक करवाया सोचा स्टेशन से ले लूंगा तो यहां दुकानें बंद मिली। ट्रेन में कुछ खाना सुरक्षित नहीं होता इसलिए अब भूखा ही सफर करूंगा।
रात में असामाजिक तत्व सक्रिय होते हैं
रात के समय ऐसे स्थानों पर पुलिस गश्त करके प्राथमिकता से उन दुकानों को बंद कराती है, जहां रात में असामाजिक व्यक्तियों को जमावड़ा होने लगता है। किसी होटल में शराबखोरी न हो इसलिए निगरानी रखी जाती है। वर्तमान में चुनाव आचार संहिता भी लागू है, जिस कारण पुलिस गश्त की जा रही है।
- गौरव तिवारी, थाना प्रभारी कैंट