चैतन्य सोनी, सागर नवदुनिया। सागर में जमीन, मकान, प्लॉट के नामांतरण के दौरान योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण-पत्र मान्य नहीं होगा। परिवार के मुखिया या जिस व्यक्ति के नाम पर जमीन-जायजाद है, उसकी मृत्यु की पुष्टि पंचनामा से की जाएगी। पंचनामा भी वे व्यक्ति बनाकर देंगे, जो अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे। बाकायदा शपथ-पत्र के साथ पंचनामा आवेदन के साथ जमा करने के बाद ही नामांतरण किया जा सकेगा।
प्रदेश में शायद यह अपनी तरह का पहला फरमान होगा, जो सागर नगर निगम ने हाल ही में जारी किया है। इसमें नगर निगम खुद की जन्म-मृत्यु शाखा द्वारा और प्रदेश के योजना-आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी किए गए मृत्यु प्रमाण-पत्र को अस्वीकार कर रहा है। हालांकि यह नियम केवल जमीन-जायजाद के नामांतरण के मामले में लागू किया गया है।
हाल ही में आयुक्त कार्यालय से निगम की नामांतरण शाखा को एक आदेश जारी हुआ है कि किसी भी तरह के नामांतरण प्रकरण में केवल मृत्यु प्रमाण-पत्र के आधार पर प्रॉपर्टी का नामांतरण नहीं किया जाएगा। इसके लिए पंचनामा आवश्यक किया है। इतना ही नहीं इसके लिए निगम ने बाकायदा एक प्रोफार्मा भी तैयार कराकर नामांतरण शाखा में उपलब्ध कराया है।
पंच तय करेंगे कि व्यक्ति की मृत्यु हो गई है
हाईटेक जमाने में निगम की नामांतरण शाखा की व्यवस्था एक बार फिर पंचनामा जैसे दस्तावेज पर लौट आई है। नामांतरण के लिए ऐसे लोगों द्वारा दिया गया पंचनामा ही मान्य किया जाएगा, जो अंतिम यात्रा में शामिल हुए हों। ये लोग अपना नाम, पिता का नाम लिखकर और हस्ताक्षर कर यह घोषणा करेंगे कि फलां व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। किस दिनांक को मृत्यु हुई? कहां अंतिम संस्कार हुआ? इसका भी पंचनामा में उल्लेख किया जाएगा। यह पंचनामा सर्टिफाइड भी कराना होगा।
15 साल पहले का पंचनामा बनवाना पड़ेगा
सोमवार-मंगलवार को निगम की नामांतरण शाखा में कई लोग मकानों के नामांतरण के लिए परेशान हो रहे थे। अनुज सोनी ने बताया कि उनके दादा के नाम पर मकान है। 15 साल पहले उनकी मृत्यु हो चुकी है। अब पंचनामा बनवाने के लिए किसके पास जाएं? प्रदीप घोषी भी कुछ इसी तरह की परेशानी से जूझ रहे थे। उनका मकान दादी के नाम पर है। करीब 11 साल पहले दादी का निधन हो गया। नामांतरण के लिए जानकारी लेने निगम आए। पता चला मृत्यु प्रमाण-पत्र के साथ पंचनामा बनवाना पड़ेगा। अंतिम यात्रा में शामिल लोगों का पता करना पड़ेगा या मोहल्ले में हाथ-पैर जोड़ने पड़ेंगे।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नियम बनाया
नामांतरण में मृत व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण-पत्र को अमान्य नहीं कर रहे हैं, लेकिन कुछ मामलों में फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र की शिकायतें सामने आई हैं। कुछ के तो अलग-अलग परिजन अलग-अलग मृत्यु प्रमाण-पत्र लेकर आ गए। एक व्यक्ति के तीन-तीन मृत्यु प्रमाण-पत्र होने के मामले सामने आने के बाद इस तरह के फर्जीवाड़े से बचने के लिए पंचनामा बनवाकर सबमिट करना अनिवार्य कर दिया है। इससे फर्जीवाड़ा रुकेगा। - डॉ. प्रणय कमल खरे, उपायुक्त नगर निगम