
सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। अल्प वर्षा का असर इस साल जलस्रोतों पर अभी से दिखने लगा है। जिले की सभी नदियों की धार जनवरी में ही टूट चुकी है। हालत यह है कि नदियों में दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आ रहा है। जलाशयों व तालाबों का भी यही हाल है। जल संसाधन विभाग के अधीन बांधों व जलाशयों में पानी न्यूनतम जलस्तर पर है। इसके बाद सिंचाई संभव ही नहीं है। कुओं का भी यही हाल है कि इनमें पानी कम हो गया है। कई गांवों में हैंडपंप हिचकोले लेकर चलने लगे हैं। अब लोगों को ही जल संरक्षण के बारे में सोचना होगा, जिससे आने वाली गर्मी में बिगड़ने वाले हालात न बनें। जानकारी के मुताबिक सागर में बीना, बेतवा, बेबस, सुनार, धसान, कोपरा नदियों रीत चुकी हैं। नदियों में जहां स्टापडैम बने हैं, वहां पानी है, लेकिन उसके बाद पानी का कहीं नामो निशान नहीं है। सागर-विदिशा जिले की सीमा पर बहने वाली बेतवा नदी से भी किसानों द्वारा अंधाधुंध सिंचाई की जाती है। वहीं बीना नदी से भी सिंचाई की जा रही है। बीना नदी से सबसे अधिक विदिशा जिले के किसान सिंचाई करते हैं। इस नदी से बीना व खुरई नगर में जल सप्लाई होती है। जलस्तर घटने से खुरई व बीना दोनों ही जगह गर्मी में परेशानी हो सकती है। राहतगढ़ में 2019 की तरह ही हालत बन रहे हैं। यहां 2019 में पहली बार ऐसा हुआ था जब बीना नदी के वाटरफाल के पास नदी पूरी तरह सूखी थी। इस साल भी तेजी से पानी घट रहा है। धसान, कोपरा नदी के हालत पहले से ही खराब है। देवरी की सुखचैन व झुनकू नदी ने दिसंबर में ही साथ छोड़ दिया था। देवरी में मंसूर बावरी जलाशय से जल सप्लाई होती है, वहां भी पानी कम हो रहा है।
सागर में व्यर्थ बह रहा पानी
सागर नगर व मकरोनिया उप नगर में राजघाट से पानी की सप्लाई होती है, लेकिन पाइप लाइन लीकेज होने की वजह से समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया तो गर्मी में हालात बिगड़ सकते हैं। इस संबंध में जिले के अधिकारियों का कहना है कि अल्प वर्षा की वजह से आधे से कल जलाशय ही 70 फीसद भरे थे। समय रहते नदियों पर सिंचाई के लिए पाबंदी लगाई थी। जलसंकट को देखते हुए लोगों को भी जल संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
केस एक
नरयावली विधानसभा क्षेत्र की परसोरिया ग्राम पंचायत में दो नल-जल योजनाएं हैं, इसके बाद भी आधी बस्ती के लोग पानी को अभी से भटकने लगे हैं। परसोरिया की आधी बस्ती यानी पुरानी ग्राम पंचायत का इलाका, नटिया टोला, बीड़ी श्रमिक कालोनी व मैन बस स्टैंड के आधा हिस्से में लोग पानी को बहुत परेशान हैं। यहां 65 लाख रुपये की नई नल-जल योजना का काम हुआ था, लेकिन पाइप लाइन आधी बस्ती में ही पहुंचा। इससे आधी बस्ती के लोग एक से दो किमी दूर से पानी लाने को मजबूर होते हैं। मई-जून में तो यहां पलायन की स्थिति निर्मित हो सकती है।
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केस-2
कर्रापुर में केवल दो बोर चालू, एक दर्जन हुए बंद
सागर जिले मुख्यालय से महज दस किमी दूर कर्रापुर ग्राम पंचायत में वर्तमान में दो बोर ही चालू हैं। यहां जलसंकट को देखते हुए पंचायत द्वारा एक दर्जन के करीब बोर कराए गए थे। इनमें से आधा में पानी भी आया था, लेकिन जलस्तर गिरने की वजह से यह भी बंद हो। वर्तमान में पंचायत में दो बोर से पानी सप्लाई की जाती है जो अपर्याप्त है। पंचायत प्रतिनिधि डा. लखन पवार ने खेतों में बने बोर के माध्यम से पानी लाने की व्यवस्था की है, लेकिन इसकी ग्राम पंचायत से अधिक दूरी है। डा. पवार का कहना है कि ग्राम पंचायत की नल-जल योजना को पगरा जलाधर्वन योजना से जोड़ने की मांग ग्रामीणों ने की है। स्थानीय विधायक ने इस मुद्दे को भोपाल तक पहुंचाया, इसके बाद भी अभी कार्य शुरू नहीं हो पाया।
केस-3
बरा ग्राम पंचायत में ग्रामीण टैंकर खरीदकर गुजारा कर रहे हैं। पंचायत की नल-जल योजना आठ साल से अधर में लटकी है। पंचायत के पुराना बाजार, सुरू घाट, शांति नगर, बरौआ मोहल्ला, कोलू पुरा, पहले पार, पुलिस चौकी के पास बहुत परेशानी है। गांव के अधिकतर जलस्रोत सूख गए हैं, इनमें पानी आना बंद हो गया है। गांव के राकेश पवार, लक्ष्मन सिंह, सत्पाल सिंह, कैलाश सिंह, कविंद्र सिंह, राम सिंह मयंक सोनी, भगवान दास अहिरवार का कहना है कि पानी का कोई स्रोत नहीं है। पंचमनगर से जब तक व्यवस्था नहीं होगी। इसी तरह दिक्कत होगी।