सागर (नवदुनिया प्रतिनिधि)। सागर ब्लाक की पड़रिया ग्राम पंचायत में संचालित गोशाला में केंचुआ खाद का उत्पादन किया जा रहा है। यहां गोशाला का संचालन लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। अध्यक्ष गुलाबाई आदिवासी ने बताया कि आज उनके पास लगभग 40 क्विंटल खाद कछुआ खाद बनकर तैयार है। कोई भी व्यापारी या किसान इस खाद को ले सकता है। उन्होंने बताया कि वर्मी कंपोस्ट बैग में गोबर की खाद को भरा और कछुए छोड़ दिए। शुरुआती दौर में पांच से 6 किग्र केंचुए बैग में छोड़े गए थे जो आज बढ़कर लगभग 35 किलो हो गए हैं। गोबर के खुले ढेरों पर भी उन्होंने इन केचुओं को छोड़ है ताकि इन कछुओं की मदद से गोबर को खाद में तब्दील हो सके। इतना ही नहीं इन महिलाओं ने खाली जगह पर स्वयं के उपयोग के लिए आलू, भाजी और धनिया की बोवनी की है। शाम को घर जाते वक्त यह महिलाएं घर के लिए भी यहां से अपने उपयोग के लिए सब्जी ले जा पाती है। इसके अलावा इन महिलाओं ने नेपियर ग्रास तथा बरसीम की बोवनी करके चारागाह विकास किया है। महिलाएं में आठ से अधिक गायों ने बछड़े दिए। वर्तमान में यह गायें 5 से 8 लीटर दूध दे रही हैं। जिला पंचायत सीईओ क्षितिज सिंघल का कहना है कि गोशालाओं का सतत मूल्यांकन किया जा रहा है। गोशला में महिलाएं ने बड़ी मात्रा में कंडे बनाकर तैयार रखें हैं जो होली में होलिका दहन में काम आएंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए गोकाष्ठ बहुत उपयोगी है। पड़रिया सहित आसपास के गांवों में पिछले साल गोकाष्ठ की होलिका दहन हुई थी, इस साल भी यहां बने गोकाष्ठ से पड़रिया सहित आसपास क्षेत्र में गोकाष्ठ की होलिका जलाई जाएगी। कलेक्टर दीपक आर्य का कहना है कि महिला समूह गोशालाओं का संचालन समुचित ढंग से कर पा रही है। खुशी की बात है कि महिलाओं ने केंचुआ खाद बनाकर चारागाह उत्पादन करके भोजन की व्यवस्था पशुओं के लिए कर रखी है। उन को दी जाने वाली शासन की राशि समर्पण गोशाला संचालकों के खाते पर भेजी जा रही है।