
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। चूहा कभी इधर...कभी उधर, न जीवन सहयोगी उपकरण बच पा रहे न अन्य सहयोगी वस्तुएं...दीवारों में छत चढ़ने को तैयारी सीलन....विद्युत प्रवाह के उखडे उपकरण... जी, हां आप सही समझे यह सरकारी भवन ही है। यह अव्यवस्था जिला अस्पताल में संचालित सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की है जहां नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है। यहां उन शिशुओं का उपचार जिला अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें चूहा कैबिन के अंदर धमाचौकड़ी मचाते दिख रहा है।
वायरल वीडियो में चूहा कुछ पीले रंग का मुंह में दबाकर इधर-उधर उछल कूद करता नजर आ रहा है। वह कई उपकरणों तक पहुंच रहा है। गौरतलब है कि इंदौर के अस्पताल में बच्चों को चूहे द्वारा कुतरे जाने की घटना हो चुकी है। इससे बच्चों की जान भी चली गई थी। यही नहीं जबलपुर में भी ऐसी घटना हो चुकी है। लिहाला जिला अस्पताल प्रबंधन नहीं जागा तो सतना में भी चूहों द्वारा नवजातों की कुतरने की घटना कभी भी हो सकती है।
गंभीर प्रकार के संक्रमणों से बचाने के लिए नवजातों को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किया जाता है लेकिन अंदर की दीवारों में सीलन छत छूने को बेताब है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इकाई के अंदर संक्रमण का खतरा कितना है। इसके अलावा शार्ट सर्किट का भी खतरा है। इकाई के अंदर बिजली के स्विच बोर्ड खुले नजर आ रहे हैं। यह सब वायरल बीडियो भी दिखाई दे रहा है।
सतना में वायरल हो रहे वीडियो में एक चूहा जिला अस्पताल में कुछ पीले रंग का मुंह में दबाकर इधर-उधर उछल कूद करता नजर आ रहा है। इस दौरान वह कई उपकरणों तक पहुंच रहा है। pic.twitter.com/91dDpf46X2
— NaiDunia (@Nai_Dunia) December 20, 2025
चौकाने वाली बात तो यह है कि जिला अस्पताल में जहां इलाज और स्वच्छता पहली प्राथमिकता में होनी चाहिए वहीं के सबसे गंभीर वार्ड में चूहे खुलेआम धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। वार्ड में भर्ती नवजात तो मासूम हैं उन्हें किसी समस्या का पता नहीं है लेकिन उनके साथ आए हुए परिजनों में डर का माहौल बना हुआ है। वार्ड में भर्ती बच्चों के परिजनों ने आरोप भी लगाया है कि यह कोई नई समस्या नहीं है, कई दिनों से इस वार्ड में चूहों के साथ चीटियों का भी आतंक बना हुआ है।
इस गंभीर समस्या की नर्सिंग स्टाफ एवं डाक्टरों से कई बार शिकायत की गई है लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है। हालात जस के तस बने हुए हैं परिजनों ने बताया कि शिकायतों के बाद निराकरण पूछने पर चिकित्सकों ने कहा कि हम प्रबंधन से शिकायत कर चुके हैं कि वार्ड में नवजात बच्चे भर्ती हैं और वार्ड में चूहों ने डेरा डाल रखा है, इस समस्या को हल कराइए लेकिन प्रबंधन ने सुनकर भी अनसुना कर दिया, शायद प्रबंधन अभी भी किसी अनहोनी होने का इंतजार कर रहा है। अंतत: मजबूरी में परिजनों ने वीडियो बनाकर मामले को सार्वजनिक कर दिया है।
किसी सरकारी अस्पताल में चूहों की धमाचौकड़ी का यह कोई पहला मामला नहीं है, जब सरकारी अस्पताल में इस प्रकार की लापरवाही उजागर हुई हो। हाल ही में प्रदेश के इंदौर के एम वाय अस्पताल में नवजात बच्चों को चूहों ने कुतर दिया था जिसके चलते बच्चों की मौत हो गई थी। मौत की घटना के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे।
इतना ही नहीं जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को भी चूहों द्वारा कुतरे जाने का मामला सामने आ चुका है और अब सतना जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के सबसे गंभीर वार्ड से चूहों के आतंक का वीडियो सामने आया है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के नाम पर प्रबंधन द्वारा साल भर में करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं इसके बावजूद सरकारी अस्पताल के स्वच्छता और सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
पूरे एसएनसीयू वार्ड का इन्फ्रास्ट्रेक्चर गुणवत्ता सही न होने के कारण दो साल में ही बद से बदत्तर हो गया है। वार्ड में इस समय 45 नवजातों का इलाज जारी है। वार्ड में इनबार्न एवं आउटबार्न के 12-12 बेड लगाए गए हैं। इसके अलावा 9 नए वार्मर बेड भी लगा दिए गए हैं। कुल मिलाकर इस समय एसएनसीयू वार्ड में 35 बेड पर 45 बच्चे इलाज के लिए भर्ती हैं। नवजात बच्चों में जरा सी चूक किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रोगी कल्याण समिति (आरकेएस) के बजट से जिला अस्पताल के सभी वार्डों में पेस्टी साइड कंट्रोल कराया जाता है। इसके अंतर्गत दीमक को भगाने के लिए दवा का छिड़काव किया जाता है। दीमक के लिए हर 6 महीने या साल भर में दवा का छिड़काव किया जाता है।
पेस्ट कंट्रोल के लिए लोकल वेंडर को नियुक्त किया गया है। जबकि पेस्ट कंट्रोल से संबंधित दवा एवं अन्य सामान वेंडर को खरीद कर दिया जाता है। वहीं चूहों के लिए सभी वार्डों में रैट किलर, दवाईयां एवं पिंजड़ा भी रखाया जाता है। जिला अस्पताल के मीटिंग हाल में क्वालिटी टीम आफिस में चूहों एवं चीटियों से संबंधित दवाईयां एवं अन्य सामग्रियां रखी जाती हैं और सभी वार्ड प्रभारी को जरूरत पर यहां से ले जाने के निर्देश भी दिए जाते हैं।