नईदुनिया, सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक बछौन किला अब केंद्र सरकार की संरक्षित धरोहरों की सूची में नहीं है। सरकार द्वारा इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की देखरेख से हटाने के बाद, अब इसके संरक्षण और देखभाल पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। न तो अब इसे कानूनी सुरक्षा मिलेगी और न ही किसी तरह का सरकारी अनुदान या रखरखाव फंड।
यह किला बछौन (बछौंहा) गांव में स्थित है, जो मैहर से लगभग 25 से 30 किलोमीटर दूर है। इतिहासकारों के अनुसार, इसका निर्माण 14वीं से 16वीं सदी के बीच बघेल, कलचुरी या चंदेल शासकों द्वारा कराया गया था। यह क्षेत्र कभी सतना और रीवा में फैले शक्तिशाली राजवंशों का हिस्सा था।
बछौन किला ऊंचाई पर स्थित है, जिससे इसका रणनीतिक महत्व उस समय काफी अधिक था। इसकी दीवारें, बुर्ज और शिलालेख आज भी उस गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं। यहां अब भी पुराने दरवाजे, चूना-पत्थर की दीवारें और बुंदेली-बघेली स्थापत्य शैली की झलक मिलती है।
किले को ASI की संरक्षित सूची से हटाना इसका कानूनी और प्रशासनिक संरक्षण खत्म कर देता है। इसका सीधा प्रभाव होगा-
इतिहास और पुरातत्व के जानकारों का मानना है कि अगर जल्द से जल्द स्थानीय या राज्य सरकार द्वारा संरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई, तो यह ऐतिहासिक विरासत धीरे-धीरे नष्ट हो सकती है।
स्थानीय इतिहासप्रेमियों और पुरातत्व विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि बछौन किले को दोबारा ASI की सूची में शामिल किया जाए या फिर इसे राज्य सरकार द्वारा संरक्षित घोषित किया जाए। इसके साथ ही इसके आसपास के क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की भी मांग उठ रही है।