नीलगाय और जंगली सूअर से तबाह फसलें, किसानों की गुहार पकड़ो या मारने की अनुमति दो
जिले के किसान इन दिनों अपनी हाड़तोड़ मेहनत से उगाई गई फसल के नष्ट होने की आशंका से परेशान हैं। कहीं वन्य प्राणी तो कहीं बेसहारा मवेशी फसलों को चट कर रहे हैं। चलिए, जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।
Publish Date: Sat, 26 Jul 2025 04:13:57 PM (IST)
Updated Date: Sat, 26 Jul 2025 04:15:04 PM (IST)
सतना जिले में किसान फसल को लेकर काफी परेशान हैं।HighLights
- सतना जिले में किसान फसल को लेकर काफी परेशान हैं।
- नील गाय और जंगली सुअर से जिले के किसान काफी परेशान ।
- किसानों ने इनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है ।
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना: जिले के किसान इन दिनों अपनी हाड़तोड़ मेहनत से उगाई गई फसल के नष्ट होने की आशंका से परेशान हैं। कहीं वन्य प्राणी तो कहीं बेसहारा मवेशी फसलों को चट कर रहे हैं। तमाम नियम-कायदों के बावजूद प्रशासन की भूमिका केवल मूकदर्शक बनी हुई है। हालात यह हैं कि शहर से सटी ग्राम पंचायतों में वन्य प्राणी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिन पर अंकुश लगाने की कोई ठोस योजना न तो वन विभाग के पास है और न ही जिला प्रशासन के पास।
इन दिनों जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायतें वन्य प्राणियों की चहलकदमी को लेकर सुर्खियों में हैं। कई गांवों में नीलगाय और जंगली सूअर खेतों में घुसकर धान, मक्का, मूंग, उड़द और अरहर जैसी फसलों को तबाह कर रहे हैं। किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि या तो इन वन्य प्राणियों की धरपकड़ की जाए या फिर किसानों को इन्हें मारने की इजाजत दी जाए।
फसल तैयार होने से पहले हो जाती है बर्बादी
किसानों के अनुसार, फसलें तैयार होने पर नीलगाय और जंगली सूअर झुंडों में आकर रातों-रात खड़ी फसलों को चट कर जाते हैं। मौजूदा समय में बाबूपुर ग्राम पंचायत के देवरा, सरिसताल, सतधार, इटौरा, रमणा, चिल्ला पाठा जैसे इलाकों में स्थिति ज्यादा गंभीर है।
किसानों और जनप्रतिनिधियों की राय
ग्राम पंचायत बाबूपुर के सरपंच राकेश अहिरवार का कहना है कि इन वन्य प्राणियों की तादाद बढ़ रही है। प्रशासन को जल्द कदम उठाने होंगे। भाजपा मंडल अध्यक्ष राजेंद्र केवट ने कहा कि सोहावल क्षेत्र की ग्राम पंचायतें बेसहारा मवेशियों और वन्य प्राणियों से प्रभावित हैं।
सिटी एसडीएम राहुल सिलाढ़िया ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में राहत राशि देने का प्रावधान है, लेकिन मारने की इजाजत नहीं दी जा सकती। वनमंडल अधिकारी मयंक चांदीवाल ने स्पष्ट किया कि ये वन्य प्राणी संरक्षण श्रेणी में आते हैं, इसलिए इनका रेस्क्यू और संरक्षण करना विभाग का दायित्व है।