नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना: मध्य प्रदेश में गरीबों के स्वास्थ्य के साथ किस कदर खिलवाड़ किया जा रहा है, इसकी एक बानगी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व उपमुख्यमंत्री के विंध्य क्षेत्र के औद्योगिक जिले सतना के जिला चिकित्सालय पहुंचकर देखी जा सकती है। यहां एक गरीब 74 वर्षीय बुजुर्ग बाबूलाल पाल को गिरने के बाद उसके स्वजन आनन-फानन में उसे नजदीकी डॉक्टर के यहां ले गए, जहां उन्हें कूल्हा टूटने व इलाज में करीब साठ हजार रुपए का खर्चा लगने की जानकारी दी।
इसके बाद मरीज के गरीब स्वजनों ने बाबूलाल को तीस जून को ही जिला चिकित्सालय में लगभग तीन बजकर 27 मिनट में भर्ती कराया, जिस पर शाम को डॉक्टर ने एक्सरे की जांच लिखी और रिपोर्ट आ जाने के बाद शनिवार यानी चार जुलाई को ऑपरेशन करने की बात कही। हालंकि मरीज के स्वजन मरीज के भर्ती होने के नौ दिन बीत जाने के बाद भी कूल्हा बदले जाने का इंतजार कर रहे हैं और अस्पताल प्रबंधन के अनुसार अभी उसे और पांच दिन इंतजार करना होगा।
नतीजा बेचारा बुजुर्ग दर्द से कराहते हुए अस्पताल के वार्ड क्रमांक 2 के बेड नंबर दस में पड़ा हुआ है। बात यहां तक ही नहीं है, बल्कि जब मरीज के स्वजनों ने ऑपरेशन में होने वाली देरी की वजह से छुट्टी करने को कहा तो उसे धमकाते हुए बताया गया कि कहीं और जाआगे तो जो खून जमा कराया गया है, वह भी नहीं मिलेगा। लिहाजा मरीज के स्वजन डॉक्टरों की शक्लें निहारते हुए अपने पिता के ऑपरेशन की राह निहार रहे हे।
बुजुर्ग मरीज के स्वजन रामलाल व रामजस के मुताबिक बीती चार जुलाई को सुबह आठ बजे उन्हें ऑपरेशन थियेटर के लिए बुलाया गया। लेकिन तीन बजे तक वह थियेटर के बाहर ही अपनी बारी का इंतजार करते रहे, लेकिन उनका नंबर नहीं आया।
तभी डॉक्टर ने उनके बेटे को एक बोतल ब्लड की व्यवस्था के लिए कहा, जिस पर छोटे बेटे रामजस ने अपना एक बोतल ब्लड देकर उसे प्रिर्जव करा दिया। लेकिन करीब एक घंटे बाद उन्हें वापस भेज दिया गया, जिसके कारण मरीज को देख रहे डॉक्टर वांछित ने बताया कि एनेस्थीसिया डॉक्टर ही चला गया। लिहाजा आपरेशन नहीं हो सका। अब कूल्हा टूटे नौ दिन बीत चुके है। मरीज के स्वजनों को चिंता है कि कहीं देर से ऑपरेशन होने की वजह से कोई अन्य बीमारी व समस्याएं न उत्पन्न हो जाए?
स्वजनों के मुताबिक इलाज में होने वाली देरी की वजह से वह डॉक्टरों से मरीज की छुट्टी कहने की बात कहने लगे। लेकिन डॉक्टरों ने छुट्टी देने से इंकार करते हुए मरीज के स्वजनों को डराने-धमकाने लगे। इस दौरान स्वजनों ने अपने संबंधित व्यक्ति से मदद मांगी। जिस पर सीएमएचओ के कहने के बाद भी मरीज की छुट्टी करने को अस्पताल प्रबंधन राजी नहीं हुआ, बल्कि उल्टा कहा कि जाना है तो स्वयं से चले जाओ, हम छ़ुट्टी नहीं देंगे।