
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले में गंभीर आनुवंशिक बीमारी थैलीसिमिया का इलाज करा रहे पांच बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। इस साल जनवरी से मई के बीच बच्चों की एचआईवी रिपोर्ट पाजिटिव आई, लेकिन स्वास्थ्य विभाग मामले को दबाए रहा। विभाग के ही कुछ लोगों द्वारा मामला लीक कर देने के साथ महकमे में हड़कंप मचा है।
इधर इस मामले का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संज्ञान लिया है। आयोग ने चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इस पूरे मामले की जांच के लिए मप्र शासन ने एक हाई लेवल कमेटी भी गठित की है। इसकी निगरानी स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संदीप यादव करेंगे।
मामले में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने का कहना है कि सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया मुक्त भारत जैसे अभियानों के बीच ऐसी घटना में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस बीच शुक्रवार को नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (एनएसीओ) की केंद्रीय टीम और मध्य प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की असिस्टेंट डायरेक्टर मोनल सिंह की टीम सतना पहुंची।
यह टीम शनिवार को सतना के दोनों टीमें ब्लड बैंक की जांच करेंगी। मामला सामने आने के बाद भी एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण केंद्र प्रभारी डा. पूजा गुप्ता और काउंसलर नीरज पर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। आरोप हैं कि डा. पूजा गुप्ता ने करीब नौ माह तक मामले को दबाकर रखा। सिविल सर्जन को भी समय रहते जानकारी नहीं दी। काउंसलर नीरज पर अपने कर्तव्यों का समुचित निर्वहन न करने के गंभीर आरोप हैं।