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नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। जिला में 40 एकड़ जमीन के कथित घोटाले में विपक्ष की सरकार में जिस अफसर पर गाज गिरी थी, वही अफसर सत्ता बदलने के बाद आरोपों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया। 2012 बैच के आइएएस अजय कटेसरिया, जिन्हें शिवराज सरकार ने ‘प्रथम दृष्टया दोषी’ मानते हुए चार्जशीट थमा दी थी, अब डॉ. मोहन यादव सरकार ने उन्हें ‘पूरी तरह निर्दोष’ बताया है।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उन्हीं रीवा कमिश्नर की पहली रिपोर्ट ने कटेसरिया को दोषी पाया था, और उसी कार्यालय की दूसरी रिपोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। इसी आधार पर 7 नवंबर 2025 को उन पर लगे सभी आरोप समाप्त कर दिए।
कटेसरिया फरवरी 2020 से दिसंबर 2021 तक सतना कलेक्टर रहे। उन पर आरोप था कि 40 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया। इसी प्रकार अन्य कई मामलों में दस्तावेजों से ‘शासकीय’ शब्द हटवाया। जिसमें रघुराजनगर, मझगवां और कोलगवां की बेशकीमती नजूल भूमि निजी खातों में दर्ज। यही आरोप सामने आने पर शिवराज सरकार ने उन्हें हटाकर जांच बैठाई। चार बड़े विवादित प्रकरण, जिन पर कलेक्टर पर कार्रवाई हुई।
इनमें क्रमश: मझगवां में 36 एकड़ शासकीय भूमि निजी लोगों के नाम, . आराजी क्रमांक 238/3/3 की 0.60 एकड़ नजूल जमीन अर्जुन भाई व अन्य के नाम, आराजी क्रमांक 136/1 और 137 की कुल 44,575 वर्गफुट जमीन अनुराग मलैया के पक्ष में एवं सोनौरा छतैली में 0.89 हेक्टेयर भूमि निजी व्यक्तियों को दर्ज इन चारों मामलों में 30 मार्च 2022 को आरोप-पत्र जारी किया गया।
तत्कालीन रीवा कमिश्नर अनिल सुचारी ने विस्तृत जांच में कटेसरिया को जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट भेजी। इसी रिपोर्ट के बाद उन्हें चार्जशीट मिली थी। 10 अप्रैल 2022 को चित्रकूट में मंच से शिवराज ने कहा सतना के पुराने कलेक्टर ने करोड़ों की जमीन निजी कर दी। बेईमानों को छोड़ूंगा नहीं। जिसके बाद माना जा रहा था कि कटेसरिया पर कड़ी कार्रवाई तय है।
सत्ता बदलने के बाद कटेसरिया ने अपने विस्तृत जवाब में कहा कि जिन आदेशों पर आरोप है, वे राजस्व मंडल/वरिष्ठ न्यायालयों के आदेशों का पालन थे। रिकॉर्ड सुधार का अधिकार तहसीलदार के पास था और विधानसभा में राजस्व विभाग ने भी उनके आदेशों को सही बताया था। कमिश्नर की पहली रिपोर्ट तथ्यहीन और पूर्वाग्रहपूर्ण थी नियमों के अनुसार दोबारा अभिमत मांगा और यहीं कहानी बदल गई।
रीवा कमिश्नर कार्यालय की नई रिपोर्ट ने कटेसरिया के तर्कों को सही माना। इसके बाद त्र्रष्ठ ने 7 नवंबर 2025 को अंतिम आदेश जारी करते हुए लिखा कि प्रस्तुत प्रकरण में लगाये गए आरोप सिद्ध नहीं होते, अधिकारी दोषमुक्त किए जाते हैं।
जांच की दिशा और निष्कर्षों का सत्ता बदलते ही उलटना अब प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बड़ा कारण है। क्या आरोप वास्तव में निराधार थे या सत्ता परिवर्तन ने फाइलों का रंग बदल दिया सवाल यहीं से उठते हैं।