नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। जिला में मैला सफाई के दौरान एक मजदूर की जान गवाने का मामला सामने आई है। सतना नगर निगम क्षेत्र कृपालपुर में सफाई के लिए तीन मजदूर सीवर लाइन की पाइप में उतरें। लेकिन पाइप के अंदर अंदर मीथेन गैस के रिसाव के प्रभाव में आकर तीनों मजदूर अंदर ही बेहोश हो कर फस गए। जिसकी जानकारी लगते ही स्थानीय लोगों द्वारा तीनों मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास किया गया। लेकिन उनमें से एक मजदूर अमित कुमार कि तब तक जान जा चुकी थी। जबकि दो गंभीर रूप से घायल हैं।
इनकी कोई पहचान नहीं हो सकीं। इस दौरान लोगों ने शहर सरकार के ऊपर गंभीर आरोप लगाए कि इस घटना की जानकारी लगते ही मौके पर जुटे लोगो ने 112, फायर, नगर निगम, महापौर सभी को इसकी जानकारी दी लेकिन मौके ओर कोई नही पहुंचा। जिससे नाराज लोगो ने मजदूरों की जनन बचने और उन्हें बाहर निकलने की जद्दोजहद में जुट गए और पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने लगे।
इसके बाद नगर निगम के अभियंताओं से लेकर महापौर तक सब घटनास्थल पर पहुच गए। हालंकि इस घटना के बाद मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्थानीय नागरिक सौरभ सिंह ने कोलगवां थाने में लिखित शिकायत करते हुए संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का शिकायती आवेदन भी दिया है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 से 2024 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक में उतरने के कारण दिल्ली में ही 37 लोगों की मौत हो चुकी है। ये मौतें तब हुईं, जब सरकार मशीनों से सफाई कराने का दावा करती रही है। वहीं 2019 से अब तक देश भर में 430 लोगों की मौत हो चुकी है। वो भी तब जब बिना उपकरणों के सफाई कराने के खिलाफ कानून मौजूद हैं।
सीवर चेंबर में जहरीली गैस से कर्मचारियों की तबीयत बिग?ने का ये दूसरा मामला है। इससे पहले 22 सितंबर को दोपहर करीब 12 बजे महादेव रोड पर क्रिस्तुकुला स्कूल के पास आदर्श शुक्ला और किशन वर्मा सीवर लाइन की सफाई कर रहे थे। इसी दौरान जहरीली गैस के कारण दोनों बेहोश होकर गिर पड़े। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी। दोनों कर्मचारियों को बाहर निकाला। एसडीएम राहुल सिलडय़िा मौके पर पहुंचे और अपनी गाड़ी से दोनों कर्मचारियों को जिला अस्पताल ले गए थे।
यह हादसा बीते सप्ताह हुई समान घटना के बाद सामने आया है, जिसने सफाईकर्मियों और उनके परिजनों में भारी दहशत फैला दी है। सवाल यह है कि लाखों रुपए खर्च कर खरीदी गई सुरक्षा किट मजदूरों तक क्यों नहीं पहुंचाई जा रही?
घटना के बाद जिला कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ता जिला चिकित्सालय पहुंच गए। जहां उन्हें हादसे में घायल दो मजदूर नदारद मिले, जिनकी जानकारी किेसी भी प्रशासनिक अमलें को नहीं थी। जिसके बाद सभी कांग्रेसियों ने मजदूर के पीडि़त स्वजनों को पचास लाख मुआवजा देने की मांग पर अड़ गए।
कांग्रेसियों ने मौके पर ही दो अन्य घायलों को ठेकेदार पर गायब कराने का आरोप लगाया। जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा ने कहा, कलेक्टर से हुई है चर्चा। मामले के सभी दोषियों पर प्रकरण दर्ज कराने और मृतक को मुआवजा दिलाने की मांग रखी गई है । ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
घटना के बाद कांग्रेसियों ने प्रभारी ईई दीपक बागरी और उपयंत्री हर्षिता बैरागी इस प्रोजेक्ट के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार बताया। कांग्रेसियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मौके पर न तो सुरक्षा किट मिली और न ही कोई सुपरविजन। कंसल्टेंसी के इंजीनियर भी गायब रहे। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर करोड़ों की स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में सुरक्षा को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही क्यों बरती जा रही है? उन्होनें मांग कि है कि इस घटना पर जिम्मेदारों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
त्रिवेणी पैलेस के ठेकेदार सौरभ सिंह ने मानवीय पहल करते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की और अपने साथियों के साथ खुद सीवर में उतरकर बेहोश हुए मजदूरों को बाहर निकाला। इस साहसिक प्रयास की मौके पर मौजूद लोगों ने सराहना की।
संबंधित एजेंसी ने अपनी गलती सुधारी है और मजदूर के परिवार को 12 लाख बतौर मुआवजा देने को कहा है। इसके अलावा एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
योगेश ताम्रकार, महापौर नगर निगम सतना