
नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। कहते हैं निरीक्षण से व्यवस्था सुधरती है, लेकिन जब निरीक्षण ही जानकारी के बिना हो तो वह व्यवस्था पर नहीं, निरीक्षक पर सवाल खड़े कर देता है। कुछ ऐसा ही नजारा उपसंभाग मझगवां के पोड़ी–मनकहरी मार्ग पर देखने को मिला, जहां लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा अमानक घोषित कर दो दिन पहले ही निरस्त किए जा चुके सड़क नवीनीकरण कार्य को लेकर राज्य मंत्री नगरीय प्रशासन प्रतिमा बागरी ने निरीक्षण कर उसे “निरस्त करने के निर्देश” दे डाले।
विडंबना यह कि जिस कार्य को मंत्री महोदया नव निर्माण समझकर निरीक्षण कर रही थीं, वह असल में डामर नवीनीकरण का काम था। इससे भी अहम बात यह रही कि उक्त कार्य को PWD पहले ही अमानक पाकर खारिज कर चुका था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या मंत्री को अपनी ही विधानसभा में हो रही कार्रवाई की जानकारी नहीं थी, या फिर निरीक्षण केवल औपचारिकता बनकर रह गया है।
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इनटरनेट मीडिया से खुली थी पोल, विभाग ने पहले की कार्रवाई
स्थानीय इनटरनेट मीडिया (व्हॉट्सऐप) पर गुणवत्ता हीन कार्य की जानकारी सामने आने के बाद 15 दिसंबर 2025 को अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग (भ/स) उपसंभाग मझगवां ने उपयंत्री सुरेन्द्र सिंह के साथ स्थल निरीक्षण किया। निरीक्षण में कि.मी. 3/10 से 3/4 तक पी.एम.सी. कार्य अमानक पाया गया, जिसे तत्काल अमान्य घोषित कर ठेकेदार को हटाकर मानक स्तर का कार्य दोबारा कराने के निर्देश दिए गए। इसके बाद 19 दिसंबर को कार्यपालन यंत्री द्वारा भी उक्त कार्य को निरस्त कर दिया गया। यानी विभागीय स्तर पर कार्रवाई पहले ही पूरी हो चुकी थी।
एक दिन बाद मंत्री निरीक्षण, वही आदेश फिर से
इसके बावजूद, अगले ही दिन राज्य मंत्री का निरीक्षण हुआ और उन्होंने उसी नवीनीकरण कार्य को “निरस्त” करने के निर्देश दे दिए, जो पहले ही निरस्त हो चुका था। इससे न केवल मंत्री के निरीक्षण की गंभीरता पर सवाल खड़े हुए, बल्कि विभागीय समन्वय और सूचना तंत्र की भी पोल खुल गई।
जब सड़क का अमानक होना विभाग पहले ही मान चुका था और ठेका पहले ही निरस्त हो चुका था, तो मंत्री का निरीक्षण कार्रवाई था या री-टेक? क्या यह मान लिया जाए कि मंत्री को न तो विभागीय पत्रों की जानकारी थी और न ही अपनी विधानसभा में चल रही कार्रवाई की?