Chaitra Navratri 2024 : नईदुनिया प्रतिनिधि, मैहर/सतना। हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व माना जाता है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन भक्तों ने मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर माता का आशीर्वाद लिया। इस दिन भक्त अपने घरों में और मंदिरों में जाकर भी माता की आराधना करते हैं। वैसे तो नवरात्रि के पूरे नौ दिन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा ही रहता है। लेकिन त्रिकूट पर्वत पर विराजी मां शारदा के दरबार में पूरे साल प्रतिदिन हजारों भक्त हाजरी लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि माता शारदा नवरात्रि में अपने भक्तों को अपने विभिन्न स्वरूपों में दर्शन देती हैं। माता शारदा का श्रंगार भी दिन के अनुरूप होता है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रि के दिन यहां माता की मूर्ति के सामने अपना सिर झुकाकर माता की पूजा अर्चना करता है, उसे माता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है, साथ ही उसके जीवन में सुख शांति बनी रहती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि नवरात्रि के दूसरे दिन लगभग पचास हजार दर्शनार्थी माता के दरबार में पहुंचे और माता के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा।
मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघण्टा है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्ही के विग्रह का पूजन- आराधन किया जाता है। इनका यह स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसी कारण से इन्हें चन्द्रघण्टा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ है। इनके दसों हांथों ने खड़ग आदि षस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित है। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है। इनके घण्टे की सी भयानक चण्डध्वनि से अत्याचारी दानव दैत्य राक्षस प्रकम्पित रहते हैं।
मां चन्द्रघण्टा की उपासना पर प्रकाश डालते मैहर के ज्योतिर्विद पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि नवरात्रि की दुर्गा उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां चन्द्रघण्टा की दया से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते है। दिव्य सुगन्धियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यन्त सावधान रहने के होते हैं।
पं द्विवेदी ने बताया कि चन्द्रघण्टा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना सदैव फलदायी है। इनकी मुद्रा क्योंकि सदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने की होती है, अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये अत्यन्त शीघ्र कर देती है। इनका वाहन सिंह है अतः इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घण्टे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत बाधादि से रक्षा करती रहती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घण्टे की ध्वनि निनादित हो उठती है। दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप आराधक के लिए अत्यन्त सौम्यता एवं शान्ति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से प्राप्त होने वाला एक सदगुण यह भी है कि साधक में वीरता निर्भयता के साथ सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होता है। उसके मुख नेत्र तथा सम्पूर्ण काया में कान्ति गुणों की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेष हो जाता है। मां चन्द्रघण्टा के भक्त और उपासक जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शान्ति और सुख का अनुभव करते है। ऐसे साधक के षरीर से दिव्य प्रकाषयुक्त परमाणुओं का अदृष्य विकरण होता रहता है। यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखलायी नहीं देती, किन्तु साधक और उसके सम्पर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव भलीभांति करते रहते हैं।
पं. द्विवेदी बताते है कि साधकों की चाहिए कि अपने मन, वचन, कर्म, एवं काया को विहित विधि विधान के अनुसार पूर्णतः परिषुद्ध एवं पवित्र करके माँ चन्द्रघण्टा के शरणागत होकर उनकी उपासना आराधना में तत्पर हों। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है।
पूजन-विधान पं द्विवेदी ने बताया कि चन्द्रघण्टा मां की प्रतिमा/चित्र स्थापित पर चौकी कर लाल वस्त्र बिछा कर दुर्गा यन्त्र की स्थापना करें। घी का दीपक अवश्य प्रज्जवलित रहे. इसके बाद हांथ में लाल पुष्प लेकर माता का ध्यान करें।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसाद तनुते महा चन्द्रघण्टेति विश्रुत्ता
ध्यान के पश्चात् पुष्पों को माँ को समर्पित करें, तत्पष्चात् मां का पंचोपचार पूजन कर मनोकामना हेतु ॐ चं चंचं चन्द्रघण्टाये हु मंत्र का 108 बार जप करें, तत् पश्चात लाल फल का प्रसाद चढ़ायें तथा मनोकामना हेतु विनय कर पूर्ण श्रद्धा से माँ की आरती करे। भगवती चन्द्रघण्टा आकस्मिक एवं गुप्त धन प्रदायनी भी है।