नईदुनिया, सतना। शहर में आवारा कुत्तों की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य सड़कों तक झुंड में घूम रहे कुत्ते अब लोगों की जान के लिए खतरा बन चुके हैं। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं पर हमलों की घटनाएं रोजाना सामने आ रही हैं, लेकिन नगर निगम की तरफ से की जा रही कार्रवाई पूरी तरह नाकाफी साबित हो रही है।
पिछले वर्ष नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी और पकड़ने के लिए 40 लाख रुपये का टेंडर जारी किया था। उस समय बड़े-बड़े दावे किए गए थे कि जल्द ही सतना शहर को कुत्तों के आतंक से राहत मिलेगी। हालांकि, एक साल बीत जाने के बाद भी हालात में कोई खास सुधार नहीं आया है।
हाल ही में नगर निगम ने दोबारा 45 वार्डों में आवारा कुत्ते पकड़ने का नया अभियान शुरू करने की घोषणा की है। मगर इस बार भी यह पूरी तरह से कागजों तक ही सीमित नजर आ रहा है। शहर के कोतवाली, सिविल लाइन, रैगांव रोड, पन्ना नाका, चित्रकूट मार्ग जैसे क्षेत्रों में कुत्तों के झुंड अब भी बेरोकटोक घूम रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर निगम केवल खानापूर्ति कर रहा है। मौके पर नियमित रूप से कोई टीम नजर नहीं आती, ना ही नसबंदी केंद्र की हालत ऐसी है कि वहां कुशलता से कार्य हो सके। कुत्ते पकड़ने वाली टीम की संख्या भी इतनी कम है कि पूरे शहर को कवर कर पाना मुश्किल है।
लगातार हो रहे कुत्तों के हमलों से नागरिकों में भय और नाराजगी दोनों बढ़ रही है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो वे खुद मोर्चा संभालने को मजबूर हो जाएंगे। कई स्कूलों ने भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नगर निगम को नसबंदी केंद्रों की क्षमता बढ़ानी होगी, स्थायी टीम नियुक्त करनी होगी और तकनीकी मदद से एक ट्रैकिंग सिस्टम तैयार करना चाहिए, जिससे यह पता लगाया जा सके कि किन क्षेत्रों में कितने कुत्तों की नसबंदी हुई है और कितने अभी बाकी हैं।