नईदुनिया प्रतिनिधि, सतना। सावन की बारिश ने जहां किसानों के चेहरे खिला दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ आम आदमी की रसोई का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। सतना और आसपास के कस्बाई इलाकों में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। थोक और फुटकर कीमतों में बड़ा अंतर भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है।
बीते एक हफ्ते में टमाटर, मिर्च, धनिया, अदरक और लहसुन जैसी रोजाना इस्तेमाल होने वाली सब्जियां इतनी महंगी हो गई हैं कि आम आदमी की थाली का स्वाद फीका पड़ गया है।
टमाटर और मिर्च ने किया परेशान
सबसे ज्यादा असर टमाटर और हरी मिर्च के दामों में दिख रहा है।
एक हफ्ते पहले तक टमाटर 25-30 रुपये किलो मिल रहा था, जो अब 50 रुपये किलो तक पहुंच गया है। हरी मिर्च, जो पहले 40-50 रुपये किलो बिक रही थी, अब 80 से 100 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
बारिश से खेतों में फसल खराब होने और सप्लाई चेन में रुकावट के कारण यह उछाल आया है। छोटे सब्जी विक्रेताओं और रेहड़ी वालों के लिए भी यह परेशानी का सबब बन गया है, क्योंकि ग्राहक कम मात्रा में खरीदारी कर रहे हैं।
आलू और प्याज में थोड़ी राहत
महंगाई की इस मार में आलू और प्याज भी पीछे नहीं हैं।
आलू सतना में 25 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि पहले यह 15-18 रुपये किलो था। प्याज में भी 5-7 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है। कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण किसान अपनी उपज सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है और कीमतें बढ़ रही हैं।
गृहणियों की मुश्किलें बढ़ीं
महंगाई का सीधा असर घरों की रसोई पर पड़ रहा है।
शिवांगी गौतम, ग्रहणी – पहले जितनी हरी सब्जी खरीदते थे, अब वह आधी रह गई है।
शीला पाण्डेय, ग्रहणी – पहले 300-400 रुपये में हफ्ते भर की सब्जी आ जाती थी, अब 1000 रुपये भी कम पड़ रहे हैं।
सरला पाण्डेय, ग्रहणी – हरी सब्जियों की जगह अब आलू जैसी सस्ती सब्जियों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।
मीना पाण्डेय, ग्रहणी – पहले जितने पैसे में झोला भर जाता था, अब उतने में झोला भी नहीं भरता। महंगाई का तड़का हमारी कढ़ाई तक पहुंच गया है।