आकाश माथुर, सीहोर। जिले में पैदा होने वाला शरबती गेहूं देशभर में प्रसिद्ध है, लेकिन किसानों के लिए अब इसकी चमक फीकी होती जा रही है। भले ही देश में सीहोर के शरबती गेहूं की काफी मांग है लेकिन किसानों को इसकी सही कीमत नहीं मिलने से वे अन्य किस्म के गेहूं के उत्पादन पर ध्यान दे रहे हैं। जिले में कम होते शरबती के रकबे को बढ़ाने के लिए भी शासन कोई प्रयास नहीं कर रहा।
इस साल जिले में रबी फसल का रकबा करीब साढ़े तीन लाख हेक्टेयर लक्षित है। इसमें से करीब 40 हजार हेक्टेयर रकबे पर शरबती गेहूं की बोवनी की गई है। कृषि विभाग के अनुसार यह आंकड़ा लंबे समय से इसी तरह बना हुआ है। जबकि जिले में रबी सीजन में की जाने वाली बोवनी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
खासियत के साथ कई तरह के विरोधाभास भी जुड़े हैं शरबती के साथ
शरबती गेहूं में एक बार ही सिंचाई की जाती है और एक बार ही खाद डालना होती है। वहीं लोक-1 गेहूं में दो-तीन बार सिंचाई और इतनी ही बार खाद डाली जाती है लेकिन पैदावार में बड़ा फर्क है। शरबती की पैदावार प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल होती है वहीं लोक-1 की पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल तक होती है, इसलिए किसान अन्य किस्म की ज्यादा पैदावार लेना चाहते हैं।
लोक-1 में किसानों को ज्यादा मुनाफा
शरबती भले ही महंगा बिकता है, लेकिन इसकी पैदावार कम होती है। अन्य किस्में ज्यादा पैदावार देकर मुनाफे के मामले में इसे पीछे छोड़ रही हैं। मसलन, इस साल समर्थन मूल्य पर गेहूं 1840 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है। एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल लोक-1 गेहूं हुआ तो वह करीब 74 हजार रुपए में बिकेगा। वहीं शरबती गेहूं प्रति क्विंटल ढाई हजार रुपए में भी बिके तो पैदावार एक हेक्टेयर में 25 क्विंटल के हिसाब से 62 हजार रुपए ही मिलेंगे। यानी किसान लोक-1 बोने पर 12 हजार रुपए फायदे में रहेगा।
शरबती जैसी दिखने वाली किस्म से भी प्रभाव
गेहूं की 1544 किस्म (डुप्लीकेट शरबती) असली शरबती की पहचान को धूमिल कर रहा है। दरअसल शरबती जैसी दिखने वाली यह किस्म एक हेक्टेयर में 40-45 क्विंटल तक होती है और दो से ढाई हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक जाती है।
दूर-दूर तक जाता है शरबती: तमिलनाडु, गुजरात, चेन्न्ई, मुंबई आदि जगह जाता है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां तो सीहोर में आकर ही शरबती खरीदती हैं।
इनका कहना है
शरबती की कई अन्य क्षेत्रीय किस्में भी हैं। इनकी पैदावार पैदावार शरबती की तुलना में कई गुना ज्यादा है। जिससे किसानों को ज्यादा फायदा होता है इसलिए किसान गेहूं की अन्य किस्मों की बोवनी ज्यादा कर रहे हैं।
-एसएस तोमर, वैज्ञानिक, आरएके कृषि कॉलेज, सीहोर
ये परेशानियां भी कम नहीं
- शरबती गेहूं की अलग से सरकारी स्तर पर खरीदी नहीं की जाती। यानी मिलेगा समर्थन मूल्य ही।
- इसकी ग्रेडिंग की जाती है बोल्ड दाने को ही अच्छे दाम मिलते हैं।
- प्रदेश के बाहर शरबती लगभग दोगुने दाम पर बिकता है।
शरबती की खासियत
विदिशा के प्रगतिशील किसान व अनाज व्यापारी विनोद के. शाह के मुताबिक शरबती की उत्पादन अवधि 120 दिन होती है। इस कारण इसमें प्रोटीन, कार्बाेहाईड्रेट जैसे पौष्टिक तत्व अन्य किस्मों से ज्यादा होते हैं। अन्य किस्मों को वृद्धि के लिए जहां से एक अधिक बार सिंचाई और रासायनिक खाद का उपयोग करना होता है, वहीं शरबती एक बार की सिंचाई में भरपूर उत्पादन देती है। शरबती गेहूं से बनी रोटी का स्वाद सबसे बेहतर होता है।
इसकी रोटी सफेद नजर आती है। जो सुबह से शाम तक स्वाद व रंग-रूप में एक जैसी बनी रहती है। जबकि दूसरी किस्मों के गेहूं से बनी रोटी की रंगत व स्वाद दो घंटे बाद ही बदल जाता है। पौष्टिकता और स्वाद के कारण ही इसकी मांग ज्यादा है।